दीपेंद्र मंटा/ट्रिन्यू
मंडी, 30 अगस्त
मंडी जिले के सदर उपमंडल के बाढ़ प्रभावित परिवार जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गए राहत शिविरों में रह रहे हैं। मानसून के प्रकोप ने उपखंड के अंतर्गत 245 घरों को पूरी तरह से तबाह कर दिया, जबकि 267 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। परिणामस्वरूप, भारी बारिश, बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं के कारण जिले के सदर उपखंड के अंतर्गत 500 से अधिक परिवार सीधे प्रभावित हुए। अब इन प्रभावित परिवारों को अपने पुनर्वास का इंतजार है।
चंडीगढ़-मनाली हाईवे पर 7 मील के पास सटे संबल गांव के दौरे के दौरान देखा गया कि जगर पंचायत के नितेश कुमार के घर का कोई नामोनिशान नहीं है। 14 अगस्त को बादल फटने से नितेश का घर कुछ ही मिनटों में तबाह हो गया और इस घटना में उन्होंने अपने परिवार के तीन सदस्यों को खो दिया। पूरा इलाका बड़े-बड़े पत्थरों से ढका हुआ था और वह मलबे के नीचे अपने लापता परिवार के सदस्यों की तलाश कर रहा था। पीड़ितों की तलाश के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की एक टीम को भी इलाके में तैनात किया गया था।
ट्रिब्यून से बात करते हुए, नितेश ने कहा कि चंडीगढ़-मनाली हाईवे के फोरलेन से जल्द ही बड़े पत्थरों को जल्द हटाने की जरूरत है, ताकि लापता हुए लोगों के शवों की तलाश की जा सके। “मैंने अपना घर, अपने तीन परिवार के सदस्यों और सभी सामान को खो दिया। मेरे पास नया घर बनाने के लिए जमीन नहीं है और फिलहाल मैं एक राहत शिविर में रह रहा हूं। मैं राज्य सरकार से आग्रह करता हूं कि हमें जल्द से जल्द सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित किया जाए।’’ संबल गांव में उस भयावह दिन में छह लोग बह गए थे। पीड़ितों में एक ही परिवार के तीन सदस्य और तीन मजदूर शामिल हैं।
सदर एसडीएम ओम कांत ठाकुर ने कहा कि प्रभावित परिवारों को राहत राशि वितरित कर दी गई है, जबकि प्रभावित परिवारों को 500 खाद्य किट और 1000 तिरपाल दिए गए हैं। प्रशासन प्रभावित परिवारों का ख्याल रख रहा है।
एक स्वर में बोले, हमें दो आवास
मुझवाड पंचायत के अंतर्गत मसेरन गांव में 14 अगस्त को एक घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया, जबकि कुछ अन्य को मामूली क्षति हुई। उस घटना में दो महिलाएं बाढ़ में बह गईं, जिनका अभी तक पता नहीं चल पाया है। मसेरन गांव के मूल निवासी जोध सिंह ने कहा कि प्रभावित परिवार मंडी शहर में किराए के कमरे में रह रहा है। बादल फटने की घटना 14 अगस्त को तड़के हुई थी पंडोह, सनयार्ड, टारना हिल्स, मंगवैन और कुछ अन्य स्थानों पर घरों को बड़ी क्षति हुई। अब ये प्रभावित परिवार राहत शिविरों में रह रहे हैं, जबकि कुछ परिवारों ने अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण ले रखी है। दुर्गा दास, विक्की, विजय कुमार, किशन चंद, महेंद्र सिंह और कई अन्य प्रभावित निवासियों ने एक स्वर में कहा कि वे राज्य सरकार से अपना शीघ्र पुनर्वास चाहते हैं।