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म्हारी तै खराब माटी कर राखी सै...

प्रदीप साहू/हप्र चरखी दादरी, 3 अप्रैल साहब... फसलों की कटाई करें या फिर काम-काज को छोड़कर भूखे-प्यासे अपने वाहनों के साथ लाइनों में खरीद का इंतजार करें। अल सुबह पहुंचने पर भी मंडी में अपनी सरसों की फसल बेचने के...

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चरखी दादरी की अनाज मंडी में सरसों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली में अपनी बारी का इंतजार करते किसान। -हप्र
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प्रदीप साहू/हप्र

चरखी दादरी, 3 अप्रैल

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साहब... फसलों की कटाई करें या फिर काम-काज को छोड़कर भूखे-प्यासे अपने वाहनों के साथ लाइनों में खरीद का इंतजार करें। अल सुबह पहुंचने पर भी मंडी में अपनी सरसों की फसल बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कहीं चहेतों को टोकन दिये जा रहे हैं तो कहीं बैकडोर से वाहनों की एंट्री करवाई जा रहा है। मंडी में किसानों के लिए कोई व्यवस्था नहीं, पानी तक खरीदकर पीने को मजबूर हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि मंडी अधिकारियों की तानाशाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। ये कहना है चरखी दादरी की अनाजमंडी में बुधवार को अपनी सरसों की फसल लेकर पहुंचे किसानों का। दैनिक ट्रिब्यून ने मंडी के दोनों गेटों पर करीब दो-दो किलोमीटर लंबी लाइनों में अपने वाहनों के साथ खरीद का इंतजार कर रहे किसानों के हालात जाने। कहीं किसान पेड़ों की छांव में बैठे थे तो कहीं ट्रैक्टरों पर बैठकर वाहन को लाइनों में आगे बढ़ा रहे थे। कोई अल सुबह दो बजे से कोई चार बजे से लाइनों लगे थे। किसानों से सरकारी रेट पर हो रही खरीद को लेकर बात की तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। किसान बलवान सिंह, संदीप, रणबीर, ओमप्रकाश व जितेंद्र इत्यादि ने खरीद प्रक्रिया में धांधली की सच्चाई बताई। किसानों ने कहा, ‘म्हारी तै खराब माटी कर राखी सै। किसै न भीतर सैटिंग कर राखी सै तो कोये अधिकारियां तैं मिलकैं अपना टोकन ले ज्या सै। हम अपणे खेतां मैं गेहूं काटैं अक न्यू ए बांट देखै जावां। हम तै परेशान सैं। बेरा ना क्यूकर फसल नै बेचां। पाणी तक कोन्नी मिलता अड़ै।’

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मंडी अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि किसानों की संख्या बढ़ रही है। मंंडी प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबंध किए हैं। पुलिस कर्मचारियों को यातायात व्यवस्था संभालने के लिए तैनात किया गया है।

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