सुरेंद्र मेहता /हमारे प्रतिनिधि
यमुनानगर, 19 अप्रैल
यमुनानगर जिले की आबादी लगभग 15 लाख है। अकेले शहरी इलाकों में 4 दर्जन से अधिक श्मशान घाट हैं, जिसमें मात्र एक श्मशान घाट में ही गैस से संस्कार किये जाने का प्रावधान है। उसमें भी मात्र 20% लोग ही गैस से संस्कार करवाना पसंद करते हैं। यमुना के किनारे स्थित श्मशान भूमि पर प्रतिदिन तीन से चार लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। इनमें से बहुत कम ऐसे होते हैं जो गैस पर आधारित सिस्टम से संस्कार करवाते हैं जबकि इसकी पूरी व्यवस्था है।
श्री यमुना जी घाट श्मशान भूमि चेरिटेबल ट्रस्ट के उपाध्यक्ष जीएस जैन का कहना है कि लोगों में अंधविश्वास के बावजूद सभी सदस्य अपने स्तर पर लोगों का समझाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि जहां लकड़ी से जहां पर्यावरण दूषित होता है, वहीं आर्थिक रूप से भी नुकसान होता है। जैन ने कहा कि गैस पर अंतिम संस्कार से कोई नुकसान नहीं है। उन्होंने कहा कि बस अड्डे के नजदीक श्मशान घाट में गैस पर अंतिम संस्कार के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है।
श्मशान घाट सभा के अध्यक्ष सुशील वोहरा का कहना है कि इसके लिए लगभग 50 लाख खर्चा आएगा। उन्होंने बताया कि जहां वर्कशॉप रोड से श्मशान घाट का रास्ता सही नहीं है। यमुनानगर जिला में एनजीटी के आदेशों के बाद अन्य श्मशान घाट में भी गैस आधारित सिस्टम से संस्कार करवाने के लिए चर्चाएं होने लगी हैं। हरियाणा के वन एवं पर्यावरण मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि इसके लिए सभी को सहयोग करना चाहिए।