सोनीपत, 24 अप्रैल (हप्र)
तीन कृषि कानूनों को रद्द कर एमएसपी की पक्की गारंटी की मांग लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली में एमरजेंसी वाहनों के प्रवेश को लेकर रोक हटा दी है। किसानों का कहना है कि कोई भी वाहनों को नहीं रोक रहा है। लेकिन दो दिन बाद भी दिल्ली पुलिस ने रास्ता नहीं दिया है। बैरिकेड पुलिस की ओर से लगाए गए हैं, किसानों ने कभी रास्ता नहीं रोका। साथ ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए किसानों ने रोकथाम के लिए उपाय शुरू कर दिए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से डा. दर्शनपाल, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह दल्लेवाल, बलबीर सिंह राजेवाला, हनान मौला, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड, जोगिंदर सिंह उग्रांहा तथा युद्धबीर सिंह ने बताया कि हरियाणा प्रशासन के साथ बैठक में किसानों ने हामी भर दी थी कि उन्हें आक्सीजन वाहनों या एंबुलेंस की आवाजाही से किसी तरह की दिक्कत नहीं है। इसी दिन मोर्चा ने सभी संगठनों को भी सूचना भेज दी थी कि एक तरफ का रास्ता प्रशासन कोरोना संक्रमण में जरूरी सेवाओं के लिए खोल रहा है। इसे लेकर दो दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड नहीं हटाए हैं। किसान यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं न तो पहले उन्होंने रास्ता बंद किया था और न ही आज वह रास्ता रोके हुए हैं।
किसान नेताओं की खिलाफत शुरू
करीब 5 महीने से दिल्ली बार्डर पर बैठे युवा किसानों का सब्र जवाब देने लगा है। इनका कहना है कि जब तक दिल्ली को किसान दोबारा ताकत नहीं दिखाएगा, सरकार की ओर से वार्ता शुरू नहीं होगी। युवा किसान नेताओं के फैंसलों से भी नाखुश हैं और अपने नेताओं के खिलाफ खड़े होने शुरू हो गए है। युवाओं का तर्क है कि दो बार संसद कूच करने का फैसला लेकर पलटना कमजोर नेतृत्व को दर्शाता है। इससे पहले भी इस मामले पर हरियाणा और पंजाब के संगठनों में तकरार हो चुकी है। यही वजह है कि अब संयुक्त मोर्चा दोबारा से संसद कूच को लेकर मंथन कर रहा है और संभव है कि सप्ताहभर के भीतर इस पर कोई ठोस फैसला लिया जाए।
किसान आंदोलन में संयुक्त मोर्चा के फैसलों से युवा अपने नेताओं के खिलाफ खड़े होने शुरू हो गए है।
किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत जरूर हुई, लेकिन उनमें कोई हल नहीं निकलने के बाद से सरकार व किसानों के बीच बातचीत बंद पड़ी है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि संसद मार्च को लेकर बातचीत चल रही है और इस पर अगले सप्ताह होने वाली बैठक में फैसला लिया जाएगा। इनके अनुसार युवा चाहते है कि संसद मार्च किया जाए, तो उसको देखते हुए कोई फैसला लिया जाएगा।