
फाइल फोटो
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 22 मार्च
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बिजली परियोजनाओं पर लगाए गए वाटर सेस (जल उपकर) ने पंजाब और हरियाणा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। फैसले से पंजाब व हरियाणा पर वित्तीय बोझ तो पड़ेगा ही, बिजली भी महंगी हो सकती है। दोनों ही राज्यों की विधानसभाओं ने हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के इस निर्णय के विरोध में प्रस्ताव भी पास कर दिया। अब हस्तक्षेप के लिए केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव भेजा जाएगा। हिमाचल सरकार को वाटर सेस से सालाना चार हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
बुधवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि जल उपकर से प्रदेश को हर साल 336 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान होगा। बिजली परियोजनाओं पर लागत अधिक आएगी। बिजली के दाम भी बढ़ेंगे। विरोध प्रस्ताव पर समूचा विपक्ष एकजुट नज़र आया और सर्वसम्मति से इसे पास किया गया। प्रस्ताव में कहा कि यह अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम 1956 का उल्लंघन है।
उधर, दूसरी ओर, बुधवार को ही पंजाब सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके इसे वापस लेने की मांग की है। विधानसभा में जब यह प्रस्ताव पारित किया गया, विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक मौजूद नहीं थे। पंजाब के जल संसाधन मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि पंजाब का पानी भी अन्य राज्यों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। हिमाचल सरकार के एक तरफा फैसले से 1200 करोड़ रुपये का सालाना वित्तीय बोझ पड़ेगा। पानी के मुद्दे पर पंजाब पहले ही पड़ोसी राज्यों के दबाव में है। अब हिमाचल सरकार द्वारा यह प्रस्ताव पारित करने से नया विवाद बढ़ेगा। हिमाचल सरकार के इस फैसले से पंजाब के कुदरती स्रोतों का उल्लंघन किया गया है।
प्रस्ताव में कहा गया कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन परियोजनाओं के माध्यम से पहले ही पंजाब के साझे हिस्से में से 7.19 प्रतिशत बिजली हिमाचल को दी जा रही है। पंजाब विधानसभा में बहुसम्मति के साथ हिमाचल सरकार के फैसले के विरोध में प्रस्ताव पारित कर दिया गया।
'इस फैसले को मानने के लिए हरियाणा बाध्यकारी नहीं है। इसलिए हिमाचल सरकार द्वारा इसे तत्काल वापस लेना चाहिए।'
मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री- हरियाणा
'हिमाचल सरकार द्वारा यह एकतरफा फैसला लिया गया है। पंजाब सरकार इस तरह के फैसले का पूरी तरह से विरोध करती है।'
भगवंत मान, मुख्यमंत्री- पंजाब
'जल उपकर लगाना कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। इससे पंजाब और हरियाणा को कोई नुकसान नहीं होने वाला। दोनों राज्यों की विधानसभाओं द्वारा पारित प्रस्ताव की जांच के बाद जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्रियों की शंकाओं पर बात करेंगे। उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर पहले ही जल उपकर लगा चुके हैं।'
सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री- हिमाचल प्रदेश
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