गीताजंलि गायत्री/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 22 सितंबर
हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचसीएस) एवं संबद्ध परीक्षा में तत्कालीन इनेलो सरकार के दौरान हुई अनियमितताओं के खिलाफ केस चलाने की अनुमति मांगी गयी है। राज्य सतर्कता ब्यूरो (एसवीबी) ने प्रोफेसरों एवं अन्य के चयन में 17 साल बाद तत्कालीन एचसीएस अध्यक्षों, उसके सदस्यों और सचिव के खिलाफ ‘घोर हेराफेरी’ के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मामला चलाने की मांग की है।
सरकार को सौंपी गई एसवीबी रिपोर्ट में जांच के दौरान ‘पर्याप्त सबूत’ मिलने के बाद पेपर-चेकिंग में शामिल परीक्षकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की भी सिफारिश की गई है। सूत्रों के मुताबिक ब्यूरो ने सरकार को एक अलग पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि संपूर्ण एचसीएस और संबद्ध सेवा परीक्षा 2001 और 2004 की प्रक्रिया ‘गलत’ है और चयन ‘अवैध और मनमाना’ है।
अभियोजन के लिए इस मांग के बाद संबंधित परीक्षाओं में एचपीएससी द्वारा चुने गए अधिकारियों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है, जबकि सरकार पहले ही 2004 बैच में चयनित 23 एचसीएस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर चुकी है।
बता दें कि 2001 की परीक्षा में कुल 66 पदों का विज्ञापन निकाला गया था, जबकि 2004 की परीक्षा में 120 पदों का विज्ञापन निकाला गया था। सूत्रों ने कहा कि इस बात की संभावना है कि इन नियुक्तियों को ‘शून्य’ घोषित करना होगा। वैसे रिपोर्ट अभी विचाराधीन है, जबकि इस संबंध में मुख्य सचिव ही कोई कार्रवाई कर सकते हैं।
ये हैं शक के कारण
एसवीबी की रिपोर्ट के अनुसार, जांच में ओवर राइटिंग, कटिंग, अंकों में वृद्धि या कमी, विभिन्न तरह की स्याही का उपयोग जैसे मामले सामने आये। यही नहीं पहचान और पृष्ठों के संबंध में जानकारी वाले कॉलम को छोड़ दिया गया। बताया गया कि 117 अभ्यर्थियों की 696 उत्तरपुस्तिकाओं का निरीक्षण किया गया, जिसमें 101 अभ्यर्थियों की 198 उत्तर पुस्तिकाओं में अनियमितता पाई गई। यही नहीं, कुछ उम्मीदवारों को साक्षात्कार में अधिक अंक दिए गए थे या उत्तर-पुस्तिकाओं में उनके अंक बढ़ाए गए थे, जबकि साक्षात्कार में उच्च स्कोर करने वालों के अंक जानबूझकर कम कर दिए गए।