Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

युवा पीढ़ी को शास्त्र और शस्त्र ज्ञान के लिए वैदिक गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति जरूरी : चंद्रकांत आर्य

नरवाना, 3 नवंबर (निस) वर्तमान समय में भारतीय युवा पीढ़ी को शास्त्र और शस्त्र ज्ञान दोनों को ग्रहण करने के लिए वैदिक गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति अनिवार्य हो गई है। यह बात आज आर्य समाज प्रधान चंद्रकांत आर्य ने आर्य समाज...

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
नरवाना में रविवार को आर्य समाज में हवन-यज्ञ में मौजूद लोग। -निस
Advertisement

नरवाना, 3 नवंबर (निस)

वर्तमान समय में भारतीय युवा पीढ़ी को शास्त्र और शस्त्र ज्ञान दोनों को ग्रहण करने के लिए वैदिक गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति अनिवार्य हो गई है। यह बात आज आर्य समाज प्रधान चंद्रकांत आर्य ने आर्य समाज नरवाना में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम के दौरान कही। इस अवसर पर पर्यावरण शुद्धि के लिए हवन भी किया गया।

Advertisement

उन्होंने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति में चरित्र से व्यक्ति, व्यक्ति के समाज और समाज से राष्ट्र निर्माण के लिए सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, शौच, तप, संयम, स्वाध्याय, ईश्वर परणिदान इत्यादि यम-नियमों का अनुपालन करना चाहिए।

Advertisement

शारीरिक मानसिक और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि के लिए आसन, प्राणायाम एवं प्रत्याहार का अभ्यास करना प्रत्येक ब्रह्मचारी के लिए अनिवार्य है। योगी संन्यासी एवं तपस्वी के लिए धारणा, ध्यान एवं समाधि में लीनता जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति के लिए अनिवार्य है। आर्य समाज प्रधान चंद्रकांत आर्य ने कहा कि आर्य समाज के महान विद्वान संन्यासी एवं बलिदानियों ने भारतीय वैदिक शिक्षा पद्धति से समाज राष्ट्र की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक एवं राजनीतिक उन्नति के लिए सर्वाधिक योगदान दिया। इस अवसर पर धर्मपाल एवं यशपाल आर्य ने ईश्वर स्तुति, वंदना, प्रार्थना, भक्तिमय आराधना के साथ क्रांतिकारी बलिदानियों के राष्ट्र निर्माण में बलिदान का यशोगान किया। मिथिलेश शास्त्री ने कहा कि भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक परंपराएं पर्यावरण और प्रकृति में संतुलन पर आधारित हैं।

पर्यावरण संतुलन में प्राकृतिक कृषि एवं पशुपालन का सर्वाधिक योगदान है। किसानों से आह्वान किया गया कि पराली का प्रबंध करें, और व्यापारी पॉलीथिन -प्लास्टिक को जलाएं नहीं, बल्कि उसका पुनर्चक्रण करें। इस अवसर पर वेदपाल आर्य, बलजीत सिंह, राजवीर, किताब सिंह, संजीव एवं अन्य आर्य उपस्थित रहे।

Advertisement
×