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रिसर्च में बेहतर और नये टूल्स का करें प्रयोग

महेंद्रगढ़, 14 अक्तूबर (हप्र) हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि) में सोमवार को सामाजिक विज्ञान संकाय सदस्यों के लिए दक्षता निर्माण कार्यक्रम का कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग द्वारा 25 अक्तूबर तक आयोजित...

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महेंद्रगढ़, 14 अक्तूबर (हप्र)

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि) में सोमवार को सामाजिक विज्ञान संकाय सदस्यों के लिए दक्षता निर्माण कार्यक्रम का कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग द्वारा 25 अक्तूबर तक आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद् (आइसीएसएसआर) दिल्ली द्वारा प्रायोजित है। उद्घाटन सत्र में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक की प्रो. शालिनी सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।

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विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय हर क्षेत्र में बेहतर कर रहा है। विश्वविद्यालय में 85 से अधिक शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित है। साथ ही हम शोध और नवाचार में लगातार बेहतर कर रहे हैं। कुलपति के कहा कि गुणवत्तापूर्ण व समाजोपयोगी शोध के लिए बेहतर और नए टूल्स का प्रयोग करें। जिससे समाज की समस्याओं के समाधान करने में मदद मिले और समाज की उन्नति तथा कल्याण की तरफ ले जाये। उन्होंने सोशल साइंस के शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय वहीं शिक्षक कामयाब होगा जो कि शोध नवाचार में बेहतर करने के साथ ही स्वयं को अपडेट रखेगा। कुलपति ने कहा कि आज का समय तकनीक का है और तकनीक में भी शोध से संबंधित 35 से ज्यादा साफ्टवेयर है। इनका प्रयोग करके शोधार्थी अपने आपको और बेहतर बना सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक को हर समय शोध के प्रति अपना ध्यान लगाना चाहिए। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक की प्रो. शालिनी सिंह ने कहा कि हमें आज के समय में व्यवहार से संबंधित शोध करने चाहिए और शोध करते समय हमें मानवीय मूल्यों का सदैव ध्यान रखना चाहिए। आज के समय शोध में अपार संभावनाएं हैं। प्रो. शालिनी सिंह ने कहा कि जो अध्यापक शोध में जितना बेहतर होगा उसके आगे बढ़ने की संभावना उतनी ज्यादा होगी। कोर्स के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार और सहायक निदेशक डॉ. कुमार पी ने बताया कि इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से 30 सहायक प्रोफेसर प्रतिभागिता कर रहे हैं।

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