दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 अगस्त
सरस्वती नदी को फिर से अस्तित्व में लाने की मुहिम थमी नहीं है। हरियाणा सरकार इस नदी का उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश से सटे यमुनानगर के आिदबद्री तीर्थस्थल से मानती है। इसरो व नासा द्वारा भी सैटेलाइट सर्वे किया गया है। अब कई सौ साल पुराने दस्तावेजों व तहसीलों के पुराने कागजों को खंगाला जा रहा है। अंग्रेजों के समय के गिरदावरी व जमाबंदी के रिकार्ड को भी सरकार पढ़वा रही है।
अधिकांश पुराना रिकार्ड उर्दू भाषा में लिखा हुआ है। ऐसे में सरकार ने सेवानिवृत्त उन तहसीलदारों, कानूनगो व पटवारियों की ड्यूटी लगाई है, जो उर्दू पढ़ना जानते हैं। राजस्व विभाग के ही सेवानिवृत्त अधिकारी कॉन्ट्रेक्ट पर हायर किए हैं, क्योंकि वे तहसीली भाषा-शैली को अच्छे से समझते हैं। मौजूदा रिकार्ड में सरस्वती के नाम गिरदावरी होने का जिक्र है, लेकिन कई जगह यह रिकार्ड उपलब्ध नहीं हो पाया।
उर्दू के जानकार भी इसलिए हायर किए गए ताकि सरस्वती का पूरा नक्शा बन सके। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में तो सरस्वती का उद्गम स्थल कहे जाने वाले आदिबद्री तीर्थस्थल की गिरदावरी में ही इसका जिक्र नहीं है। अलबत्ता इसके बाद के कई गांवों में सरस्वती का उल्लेख रिकार्ड में किया गया है। कई तहसीलों में मौजूद पुराने दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है। सरस्वती हैरिटेज बोर्ड का गठन भी राज्य सरकार कर चुकी है।
लंबे समय से चल रही नदी की खोज
सरस्वती नदी को फिर से अस्तित्व में लाने की कोशिश वैसे तो बरसों से चली आ रही हैं लेकिन अाधिकारिक तौर पर पहली बार केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने नदी का खुदाई कार्य करवाने का फैसला लिया। 15 जून, 2002 को उस समय के केंद्रीय संस्कृति मंत्री जगमोहन ने सरस्वती नदी की खुदाई की घोषणा की। इसरो के वैज्ञानिक बलदेव साहनी, पुरातत्वविद एस कल्याण रमन, हिमशिला विशेषज्ञ वाईके पुरी और जल सलाहकार माधव चितले को भी इसके लिए बनी कमेटी में शामिल किया गया।
मनमोहन सिंह सरकार ने योजना कर दी थी बंद
वाजपेयी सरकार द्वारा यह काम शुरू तो करवा दिया गया लेकिन रिपोर्ट नहीं आ पाई थी। इसके बाद जब डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार सत्ता में आई तो 6 दिसंबर, 2004 को इस योजना को बंद कर दिया गया। 2014 में ऐसा संयोग बना कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी तो हरियाणा में भी पूर्ण बहुमत से भाजपा सरकार का गठन हुआ। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपने पहले कार्यकाल में योजना को आगे बढ़ाया। बहरहाल, सरकार ने करोड़ों रुपये का बजट भी इसके लिए रखा है और अलग से सरस्वती हैरिटेज बोर्ड का गठन किया है। केंद्र सरकार भी आर्थिक मदद देने को राजी है।
”सरस्वती नदी को फिर से अस्तित्व में लाने का काम जारी है। सरस्वती हैरिटेज बोर्ड का गठन किया गया है। कई सौ वर्ष पुराने रिकार्ड को खंगाला गया है। इनमें भी सरस्वती के नाम गिरादावरी मिली है। उर्दू के इस रिकार्ड को समझने के लिए उर्दू के जानकार सेवानिवृत्त तहसीलदाराें, कानूनगो व पटवारियों की सेवा ली जा रही हैं। कॉन्ट्रेक्ट आधार पर उन्हें रखा गया है।”
-कंवरपाल गुर्जर, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री, हरियाणा