हरेंद्र रापड़िया/निस
सोनीपत, 15 जनवरी
संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर एक्शन मोड में आ गया है। आंदोलन स्थगित किए जाने के एक माह बाद शनिवार को कुंडली बॉर्डर पर आयोजित बैठक में मोर्चा ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। इस कड़ी में 31 जनवरी को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों में जिला व तहसील स्तर पर ट्रैक्टर रैली या फिर धरना आयोजित किया जाएगा। इसके बाद भी सरकार नहीं जागी तो एक फरवरी को बैठक कर बड़ा निर्णय लिया जाएगा। मोर्चा ने आरोप लगाए हैं कि सरकार ने वादे के अनुसार काम नहीं किया और आंदोलन स्थगित किए जाने के एक माह बाद भी उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया है। इसमें एमएसपी से लेकर मुकद्दमे वापसी तक की मांगें शामिल हैं। बैठक में निर्णय लिया गया कि चुनाव लड़ने वाले संगठन या सदस्य फिलहाल मोर्चा के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इस बारे में 4 माह बाद समीक्षा की जाएगी, जिसके आधार पर आगामी निर्णय लिया जाएगा।
शनिवार को कुंडली में संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यालय में मोर्चा के प्रमुख डा. दर्शनपाल की अगुवाई में लगभग सभी जत्थेबंदियों और संगठनों के सदस्य शामिल हुए। बैठक में युद्धवीर सिंह, जगजीत दल्लेवाल, योगेंद्र यादव, गुरनाम चढूनी, शिवकुमार कक्का समेत मोर्चा के अनेक नेता मौजूद रहे। बाद में भाकियू नेता राकेश टिकैत भी कुंडली बॉर्डर पहुंचकर पत्रकार वार्ता में शामिल हुए और पत्रकारों के कई सवालों के जवाब दिए।
पत्रकारवार्ता में मोर्चा नेताओं ने कहा कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने के लिए सरकार ने कमेटी गठित करने की बात कही थी, जिसमें मोर्चा के सदस्यों को भी शामिल किया जाना था। मगर इस मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जहां तक किसानों पर दर्ज केस वापस लेने का सवाल है तो इस दिशा में भी अभी तक सरकार केवल प्रक्रिया का राग अलाप रही है। सभी मांगें अभी लंबित हैं, जिनको लेकर सरकार की कार्रवाई बेहद सुस्त है। सरकार को नींद से जगाने के लिए मोर्चा को फिर से आंदोलन की राह पर आना पड़ेगा। इस कड़ी की शुरुआत में 31 जनवरी को जिला व तहसील स्तर पर प्रदर्शन किए जाने का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत ट्रैक्टर रैली या फिर धरने का आयोजन होगा। फिर भी यदि सरकार नहीं जागी तो एक फरवरी को मोर्चा की बैठक बुलाकर अहम निर्णय लिया जाएगा। एक फरवरी से ही मिशन यूपी भी शुरू किया जाएगा, जिसमें सरकार की पोल खोलने के लिए मोर्चा अभियान चलाएगा।
एक फरवरी से मिशन यूपी-उत्तराखंड
एसकेएम समन्वय समिति के सदस्य युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार ने अभी तक न तो एमएसपी पर बात आगे बढ़ाई है और न ही हरियाणा को छोड़कर अन्य राज्यों में किसानों पर दर्ज मुकद्दमों के मामले में कोई निर्णय लिया। लखीमपुर खीरी में एसआईटी की रिपोर्ट के बावजूद कोई कार्रवाई न किए जाने से किसान निराश हैं। लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टेनी को बर्खास्त किया जाना चाहिए। इस मामले में जेलों में भेजे गए निर्दोष किसानों को न्याय मिलना चाहिए। यदि सरकार 31 जनवरी तक भी इसी तरह का रवैया दिखाएगी तो एक फरवरी से मिशन यूपी व मिशन उत्तराखंड शुरू किया जाएगा, जिसकी रूपरेखा राकेश टिकैत के नेतृत्व में तैयार की जाएगी। जरूरत पड़ने पर लखीमपुर खीरी में किसानों का पक्का मोर्चा लगाया जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब में सीधे तौर पर किसान मोर्चा किसी का समर्थन या विरोध नहीं करेगा।
मोर्चा से छुट्टी लेकर लड़ रहे चुनाव
मोर्चा से जुड़े कई संगठनों व सदस्यों द्वारा पंजाब में चुनाव लड़ने के सवाल के जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले सदस्य या संगठनों को फिलहाल निलंबित नहीं किया गया है। किसी का चुनाव लड़ने का मन किया तो वे एक तरह से मोर्चा से छुट्टी लेकर चुनाव लड़ने गए हैं। इस बारे में फैसला 4 महीने बाद बैठक कर लिया जाएगा।
मेधा पाटेकर बोली, यह मोर्चा है, संगठन नहीं
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने सदस्यों के चुनाव लड़ने पर कहा कि यह मोर्चा है न कि संगठन। 500 से ज्यादा संगठन इस मोर्चा में शामिल हैं, तो कोई संगठन चुनाव भी लड़ सकता है, लेकिन यह तय है कि मोर्चा के बैनर तले कोई चुनाव नहीं लड़ सकता। जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं वे मोर्चा के साथ नहीं रहेंगे, लेकिन चुनाव लडऩे से हम किसी को नहीं रोक सकते।