प्रथम शर्मा/हप्र
झज्जर, 30 नवंबर
तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर पिछले पांच दिनों से झज्जर से लगते टीकरी बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी है। सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर दिल्ली बॉर्डर पर आए किसान शांतिपूर्वक डटे हैं । बहादुरगढ़ और दिल्ली के बीच टिकरी बॉर्डर पर किसानों की तादाद लगातार बढ़ रही है। करीब 12 किलोमीटर दूर तक सड़क के दोनों ओर ट्रैक्टर ट्रॉलियों की लाइनें लगी हुई है। आंदोलनकारी किसान सड़क किनारे ही सर्द रातें बिता रहे हैं और सड़क पर ही रसोई सजाकर खाना बना रहे हैं। किसानों के साथ महिलाएं भी आई है। काफी सारी महिलाएं खाना बनाने के काम में जुटी हुई है। सुबह नाश्ता और दोपहर के भोजन के बीच ये महिलाएं टिकरी बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के ठीक सामने सरकार के खिलाफ नारेबाजी का वक्त भी निकाल रही है। महिलाओं का कहना है कि उन्होंने बड़ी उम्मीदों से वोट कर सरकार बनाई थी लेकिन सरकार ने उन्ही का नुकसान कर दिया है और जब तक किसान कानून वापस नही होंगे वो घर नहीं जाएंगे।
दिल्ली कूच से आज आंदोलन के पांचवें दिन पंजाब के किसान ने दम तोड़ दिया है। पहले पुलिस की नाकेबंदी तोड़ने के दौरान हुए हादसे में किसान की मौत हुई । फिर बहादुरगढ़ नजफगढ़ रोड़ के पास बाईपास पर कार में लगी आग के बीच झुलसने से एक ट्रैक्टर मिस्त्री की मौत हुई और बीती रात हार्ट अटैक होने से एक और किसान गज्जन सिंह की मौत हो गई। पंजाब और हरियाणा के अलग अलग गांवों से हजारों की तादाद में ट्रैक्टर ट्रालियों पर सवार होकर आए किसानों के लिए बहादुरगढ़ और आसपास के गांवों ने भी अपना दिल खोल दिया है। दोहतक के टिटौली गांव से जयवीर कुंडू अपने साथियों के साथ 3 क्विंटल दूध, 3 क्विंटल लस्सी और 10 कट्टे आटे के लेकर आए। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग सरकार को पूरी करनी चाहिए । आंदोलन अपने मकसद से न भटके इसके लिए 11 सदस्यों की कमेटी भी बनाई है, जो टिकरी बॉर्डर पर आन्दोलन का संचालन कर रही है, जो पूरे मामले पर नजर रख रही है।
सड़क पर बैठकर की अरदास
गुरुनानक देव जी का जन्मोत्सव गुरु पर्व भी किसानों ने सड़क के बीच ही मनाया। सुखमणि साहिब का पाठ भी सड़क किनारे किया। लंगर भी बांटा गया। किसानों ने अरदास लगाई है कि सरकार को सद्बुद्धि आए और उनकी मांग मान ली जाए। आंदोलनकारी किसानों के बीच आप के राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता किसानों के बीच पहुंचे। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मांग की कि वो किसानों की मांग जायज है, जिसे तुरंत पूरा किया जाए।