पंचकूला, 13 सितंबर (हप्र)
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से बुधवार को हिंदी दिवस को भारतीय भाषा दिवस के रूप में मनाया गया। इस उपलक्ष्य में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि संस्कृत के विद्वान प्रो. वेद प्रकाश उपाध्याय ने कहा कि लिपि बदलकर यदि सभी की लिपि देवनागरी कर दी जाए तो भाषाओं के बीच आपसी भेदभाव का मूलाधार ही समाप्त हो जायेगा। डॉ. उपाध्याय ने भारतीय ज्ञान परंपरा की समृद्ध परंपरा का विस्तार से विवेचन किया।
अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में हिंदी तथा भारतीय भाषाओं के अंत: संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बताया कि गुरुनानक देव जी ने भारत भर में अपनी यात्राओं में जिस भाषा का प्रयोग किया उसे हर क्षेत्र के लोगों ने समझा और आत्मसात किया। इससे सिद्ध होता है कि सभी भारतीय भाषाओं में एक सूत्रता पाई जाती है। हिंदी का किसी भी भारतीय भाषा से विरोध नहीं है। आज व्यावसायिक कारणों से ही सही हिंदी पूरे देश में बोली और समझी जाती है।
मुख्य वक्ता अंग्रेजी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो. सुधीर कुमार ने कहा साहित्य एवं संस्कृति के समेकित विकास की अवधारणा के राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में दूरगामी सुखद परिणाम होंगे। समाज को दृष्टा व ऋषियों की आवश्यकता सबसे पहले है। हमारा दुर्भाग्य है कि हमने भारतीय संस्कृति की ज्ञान परम्परा को अनुदित रूप में ग्रहण किया। अंग्रेजी के वर्चस्व के पीछे कितना सुविचारित षड्यंत्र रहा है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने भाषाओं के सही ज्ञान के लिए स्वाध्याय पर जोर दिया।
पंजाबी साहित्य के विद्वान डॉ. बलजीत सिंह ने कहा कि 21वीं शताब्दी में भारतीय ज्ञान परंपरा की वर्तमान धारा में हिंदी की बड़ी भूमिका रहेगी। भाषा की सीमाओं का दायरा हम सबको मिलकर विस्तृत करना होगा और संकीर्ण मानसिकता को छोड़ना होगा। कार्यक्रम में चंडीगढ़ व पंचकूला के लेखकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. विजेंद्र कुमार ने किया।