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केंद्र सरकार का जवाब, हरियाणा में उर्वरक की आपूर्ति की कोई कमी नहीं

कांग्रेस सांसद के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री नड्डा ने दिया जवाब
केंद्रीय रसायन मंत्री जेपी नड्डा।
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रबी सीजन की फसलों की बुआई को लेकर खाद की कमी को लेकर खूब हो-हल्ला मचा। किसानों को यूरिया, डीएपी और एनपीकेएस लेने के लिए खूब मशक्कत करनी पड़ी। विपक्ष की ओर से खाद की कमी को लेकर सरकार को घेरने के साथ किसानों की परेशानियों को भी उजागर किया गया।

खाद की कमी को लेकर सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा। रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्‌डा ने जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि डिमांड और आपूर्ति को पूरा करने और वितरण क्षमता में सुधार करने के लिए आईएफएमएस पोर्टल को एमएफएमबी प्रणाली यानी मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल के आधार पर किसानों को खाद आवंटित किया गया।केंद्र सरकार द्वारा बताया गया कि देशभर में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना उसकी जिम्मेदारी है, जबकि जिला स्तर पर वितरण का कार्य संबंधित राज्य सरकार के माध्यम से किया जाता है। हरियाणा सरकार ने केंद्र को सूचित किया है कि बीते खरीफ और वर्तमान रबी दोनों ही सीजन में सोनीपत सहित प्रदेशभर में यूरिया, डीएपी, एमओपी और एनपीके की आपूर्ति सुचारू और संतोषजनक रही है।

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2 दिसंबर तक प्रदेशभर में 2.26 लाख मीट्रिक टन खाद का स्टॉक है। यही नहीं, प्रदेशभर में यूरिया की 6.38 लाख मीट्रिक टन की डिमांड थी, जबकि 7.13 लाख मीट्रिक टन खाद की उपलब्धता कराई गई। वहीं, सोनीपत जिले में उर्वरकों का स्टॉक डिमांड के अनुसार खाद की उपलब्धता पूरी है। जिले में यूरिया 17,506 मीट्रिक टन, डीएपी 8167 मीट्रिक टन, एमओपी 2131 मीट्रिक टन और एनपीकेएस 1526 मीट्रिक टन उपलब्ध है।

केंद्रीय मंत्री जेपी नड्‌डा ने बताया कि फसली मौसम शुरू होने से पहले, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग सभी राज्य सरकारों के परामर्श से उर्वरकों की राज्यवार और माहवार आवश्यकता का आकलन करता है। कृषि विभाग द्वारा आकलित आवश्यकता के आधार पर उर्वरक विभाग मासिक आपूर्ति योजना जारी करके राज्यों को पर्याप्त मात्र में उर्वरक आवंटित करता हहै और उपलब्धता की लगातार निगरानी करता है। देशभर में सबसिडी प्राप्त प्रमुख उर्वरकों के संचालन की निगरानी एकीकृत आनलाइन वेब आधारित निगरानी प्रणाली द्वारा की जाती है। यही नहीं, रेल मंत्रालय के साथ पर्याप्त रेक देने, उर्वरकों को प्राथमिकता देने और राज्यों के लिए रेकों की समय पर निकासी के लिए नियमित समन्वय बैठकें आयोजित की जाती हैं।

 

 

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