अरविंद शर्मा/निस
जगाधरी, 2 जुलाई
चुनाव नजदीक नजदीक आते ही फिर से यमुना नदी पर पुल बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसे लेकर रविवार को बूडिया इलाके गांव बीबीपुर के यमुना नदी घाट पर चार गांवों के ग्रामीण इकट्ठा हुए।
दशकों से की जा रही मांग पूरा न होने पर इनमें जन प्रतिनिधियों के प्रति गहरा रोष देखा गया। कई ग्रामीण तो ये कह रहे थे कि इससे अच्छा तो उन्हें यूपी प्रदेश में ही मिला दिया जाए। कुछ चुनाव में भाग न लेने तक का फैसला करने के लिए भी चेता रहे थे। गांव भोगपुर, बीबीपुर, टापू माजरी, कनालसी, घोड़ों पिपली आदि के पूर्व सरपंच इनाम पोसवाल, बलींद्र सिंह टापू माजरी, प्रदीप घोड़ो पिपली, मंगत राम घोड़ों पिपली, अरशद पोसवाल, सुरेश राणा कानालसी, नंबरदार कालूराम टापू माजरी, रणसिंह, अशोक कुमार आदि का कहना था कि वे दर्जनों बार प्रशासन व जन प्रतिनिधियों को अपनी समस्या बता चुके हैं, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि यमुना नदी से लगते एक दर्जन से ज्यादा गांवों की वार व पार जमीन है। यमुना नदी में पानी आने पर उन्हें करीब 40 किलोमीटर लंबा सफर कर वाया शाहजहांपुर यूपी से जगाधरी व यमुना नगर आना पड़ता है। अचानक किसी की तबीयत बिगड़ने पर ज्यादा दिक्कत होती है।
ग्रामीणों ने बताया कि इसे लेकर कुछ साल पहले नदी से लगते दर्जनों के गांव के लोगों की संघर्ष समिति भी बनी थी। इसने भी कई बार प्रदेश व केंद्र सरकार को लिखा, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने एक बार भी आश्वासन तक नहीं दिया। नंबरदार कालूराम टापू माजरी का कहना था कि इससे अच्छा तो हमें यूपी प्रदेश में ही मिला दो। कई ग्रामीणों का कहना था कि वे मजबूरी के चलते चुनावों के बहिष्कार जैसा फैसला लेने से भी गुरेज नहीं करेंगे।
विधायक का कहना है
भाजपा विधायक घनश्याम दास अरोड़ा का कहना है कि इसे लेकर कई बार चर्चा हो चुकी है। ग्रामीणों की समस्या सच है। उन्होंने कहा कि पुल बनाने के लिए कई पैरामीटर पूरे होने चाहिए। इससे गुजरने वाले वाहनों की संख्या की शर्त भी है। अरोड़ा ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग की मंजूरी भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि सभी पैरामीटर पूरे होते हैं तो नदी पर निश्चित रूप से पुल बनवाया जाएगा।