चंडीगढ़, 22 फरवरी (ट्रिन्यू)
हरियाणा की पंचायतीराज संस्थाएं जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायत मंगलवार को प्रशासकों के हवाले हो जाएंगी। मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल मंगलवार को पूरा हो रहा है। तय समय पर चुनाव नहीं होंगे। चुनावों में 5 से 6 महीने की देरी हो सकती है। सरकार पंचायतीराज संस्थाओं में प्रशासक नियुक्त करने के आदेश पहले ही जारी कर चुकी है। माना जा रहा है कि अब इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी हो जाएगी।
सरकार के इन आदेशों को सरपंचों की एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली। अलबत्ता पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण से जुड़े फैसले पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी। पिछले दिनों ही सरकार ने सभी पंचायत प्रतिनिधियों को 16 फरवरी तक पूरा रिकार्ड संबंधित अधिकारियों को जमा करवाने के आदेश दिए थे। अब सरकार पंचायतों को बीडीपीओ व डीडीपीओ के हवाले करेगी। इधर, सरपंच एसोसिएशन के प्रधान सोमेश कुमार द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि हरियाणा की पंचायतों का कार्यकाल 23 फरवरी को पूरा हो रहा है। सरकार ने एक आदेश जारी कर पंचायतों का कार्यकाल पूरा
होते ही सभी बीडीपीओ को पंचायतों में प्रशासक लगाने का आदेश जारी कर दिया व सभी सरपंचों को पंचायत का रिकार्ड उनको सौंपने का आदेश जारी कर दिया। याचिका में कहा गया कि बीडीपीओ, एसडीएम और जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों पर पहले ही काम का बोझ रहता है। ऐसे में चुनाव होने तक पंचायतों का काम ठप हो जाएगा। मौजूदा पंचायत प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए, जिससे पंचायतों के कामकाज प्रभावित न हों। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पंचायत का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें आगे लगातार काम करते रहने देने का कानूनी अधिकार नहीं है।
सरपंचों की वित्तीय पावर हो जाएगी खत्म
कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही सरपंचों की वित्तीय पावर खत्म हो जाएंगी। वे अब न तो कोई काम करवा सकेंगे और न ही किसी चेक पर साइन कर सकेंगे। अगले चुनाव तक सरपंच केवल रिहायशी प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र आदि सर्टिफिकेट पर साइन कर सकेंगे। सरकार पहले ही मंगलवार तक सभी पंचायत प्रतिनिधियों को रिकार्ड व अन्य लेखा-जोखा बीडीपीओ कार्यालय में जमा करवाने के निर्देश जारी कर चुकी है।
अप्रैल-मई में हो सकते हैं चुनाव
2016 में भी पंचायतों के चुनाव लगभग 6 महीने देरी से हुए थे। उस समय खट्टर सरकार ने पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता तय की थी। मामला सुप्रीम कोर्ट गया था और फैसला सरकार के हक में आया। इस बार 200 के करीब नई पंचायतें अस्तित्व में आई हैं, लेकिन उनमें वार्डबंदी का काम अधूरा है। प्रदेश में इस समय 22 जिला परिषद, 6205 ग्राम पंचायत और 142 ब्लाक समितियां हैं। माना जा रहा है कि गेहूं कटाई के बाद अप्रैल-मई में ही सरकार पंचायत चुनाव करवाएगी। विकास एवं पंचायत विभाग को वार्डबंदी का काम पूरा करने को कहा गया है।