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भाजपा के खाते में जाएगी सीट, कई दिग्गज कर रहे लॉबिंग

राज्यसभा उपचुनाव नोटिफिकेशन जारी, 10 तक हो सकेगा नामांकन

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* मोहनलाल बड़ौली, कुलदीप बिश्नोई, सुनीता दुग्गल सहित कई दौड़ में

* डॉ़ बनवारी लाल और संजय भाटिया भी मजबूती से ठोक रहे दावा

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चंडीगढ़, 3 दिसंबर (ट्रिन्यू)

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हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट के लिए उपचुनाव को लेकर रिटर्निंग अधिकारी अशोक कुमार मीणा ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। नोटिफिकेशन के साथ ही नामांकन-पत्र जमा करवाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 10 दिसंबर तक नामांकन-पत्र दाखिल हो सकेंगे। 11 दिसंबर को नामांकन-पत्रों की जांच होगी और 13 दिसंबर तक नामांकन-पत्र वापस लिए जा सकेंगे। अगर जरूरी हुआ तो इस सीट के लिए 20 दिसंबर को मतदान होगा।

90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा के पास खुद के 48 विधायक हैं। तीन निर्दलीय विधायकों – सावित्री जिंदल, देवेंद्र सिंह कादियान और राजेश जून का भी सरकार को समर्थन है। ऐसे में यह सीट बिना किसी विरोध के भाजपा के खाते में जानी तय है। नायब सरकार में विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई है। भाजपा ने इस बार भी पंवार को इसराना से विधानसभा चुनाव लड़वाया। वे कांग्रेस के मौजूदा विधायक बलबीर सिंह वाल्मीकि को शिकस्त देकर चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

पंवार के इस्तीफे से खाली हुई सीट का कार्यकाल करीब चार वर्षों का बचा है। भाजपा के कई दिग्गज राज्यसभा जाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली भी राज्यसभा जाना चाहते हैं। वे 2019 में राई से विधायक बने थे। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काटकर कृष्णा गहलोत को यहां से चुनाव लड़वाया। ऐसे में उनका क्लेम भी काफी मजबूत माना जा रहा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ़ बनवारी लाल का नाम भी राज्यसभा के लिए चर्चाओं में है।

कृष्ण लाल पंवार एससी थे और भाजपा एससी कोटे से ही बनवारी लाल को भेजने पर भी विचार कर सकती है। 2014 और 2019 में बावल से विधायक रहे बनवारी लाल मनोहर व नायब मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे। इस बार केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के चलते उनका टिकट कट गया। उनकी जगह डॉ़ कृष्ण कुमार बावल से विधायक बने हैं। पटौदी से विधायक रहे सत्यप्रकाश जरावता का टिकट भी राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के चलते ही कटा। ऐसे में राज्यसभा के लिए जरावता का नाम भी चर्चाओं में है।

वहीं सिरसा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल भी राज्यसभा जाने की जुगत में है। भाजपा ने इस बार सिरसा से उनका टिकट काटकर पूर्व सांसद डॉ़ अशोक तंवर को दिया था। अशोक तंवर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा के सामने बड़े अंतर से चुनाव हार गए। विधानसभा चुनावों के दौरान वे भाजपा छोड़कर कांग्रेस में भी शामिल हो गए। वहीं पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई भी राज्यसभा जाने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी मुलाकात कर चुके हैं।

इस बार आदमपुर सीट से कुलदीप के पुत्र भव्य बिश्नोई भी कांग्रेस के चंद्र प्रकाश के हाथों चुनाव हार गए। ऐसे में कुलदीप राजनीति में बने रहने के लिए राज्यसभा जाने की जुगत में हैं। वे हिसार से लोकसभा का टिकट भी मांग रहे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़वाया। कुलदीप की उम्मीदें इसलिए भी बढ़ी हुई हैं क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में आईं पूर्व मंत्री किरण चौधरी को पार्टी पहले ही राज्यसभा भेज चुकी हैं। किरण की बेटी श्रुति चौधरी को नायब सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया हुआ है।

करनाल से सांसद रहे संजय भाटिया भी राज्यसभा जाने की फिराक में हैं। पुरानी संघ पृष्ठभूमि के संजय भाटिया की गिनती केंद्रीय बिजली व शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल के नजदीकियों में होती है। 2019 में संजय भाटिया पहली बार करनाल से सांसद बने थे। इस बाद भाजपा ने उनका टिकट काट दिया। उनकी जगह मनोहर लाल करनाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े। संजय भाटिया पानीपत सिटी से विधानसभा चुनाव भी लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें वहां का टिकट भी नहीं दिया। बताते हैं कि वे इसी आधार पर अब राज्यसभा के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।

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