विनोद जिंदल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 12 दिसंबर
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन में भारत को विश्वगुरु, अखंड भारत तथा विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बनाने का मुद्दा छाया रहा। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि योग, कर्म व धर्म के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने के दम पर भारतवर्ष 2045 तक फिर से बड़ी शक्ति बनेगा।
उस समय पंडाल पूरी तरह से तालियों से गूंज उठा जब संत सम्मेलन में इमाम मोहम्मद इलयासी ने जोर देकर कहा कि हम सब एक हैं। भारत को प्यार मोहब्बत से विश्वगुरु बनाना है। एकता का पैगाम देते हुए उन्होंने कहा कि यदि सद्बुद्धि रही तो हम जल्द ही अखंड भारत बना देंगे, जिसमें अफगानिस्तान और तिब्बत तक भी शामिल होंगे। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि तालियों की आवाज हमारे पड़ोसी देश तक भी पहुंचनी चाहिए। उनके यह कहते ही पंडाल में खूब तालियां बजीं। उनके भाषण समापन पर स्वामी रामदेव उन्हें गले लगकर मिले। मंच पर उपस्थित रोहतक से आए संत कालिदास भी मोहम्मद इलयासी को गले मिले।
मंच पर मुख्यातिथि के तौर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दतात्रेय समेत सभी संतों ने गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद की यह कहकर प्रशंसा की कि उनकी कोशिशों से आयोजित आज का संत सम्मेलन काफी अच्छा रहा है। राज्यपाल ने कुरुक्षेत्र की भूमि को नमन करते हुए कहा कि मानवता के लिए श्रीमद्भगवद्गीता प्रेरणादायक ग्रंथ है। यह पवित्र ग्रंथ विश्व को मानवता और वैदिक मूल्यों का बोध करवाता है। प्रत्येक व्यक्ति को गीता ज्ञान प्राप्त करके मानवता के उत्थान में अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने मोहम्मद इलयासी के संबोधन की प्रशंसा करते हुए कहा कि मानवता को बचाने वाला एक ही ग्रंथ गीता है। संत सम्मेलन में स्वामी रामदेव ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने गीता का एक शब्द तो क्या एक अंश भी पढ़ लिया तो समझो उसने योग को पूरी तरह से पढ़ लिया। उन्होंने कहा कि भौतिकवाद के छलावे में जीने वाले देश भारत का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कर्म को भगवान की पूजा मानकर करने के लिए कहा। आदर्श आचरण करने पर भी जोर दिया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने सभी संतों का परिचय करवाते हुए गीता को पूरी मानवता का गौरव बताया। स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि गीता को विषमताओं में खड़े रहने तथा अस्तित्व का बोध कराने वाली बताया। गुरु शरणानंद महाराज ने कहा कि गीता उपदेश दो घनिष्ठ मित्रों के बीच हुई आपसी गुफ्तगू हैं जो पूरी मानवता के लिए प्रेरणादायक है। हरिचेतना महाराज ने कहा कि गीता ही एक ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है।
संत सम्मेलन में बाबा उपेन्द्र सिंह, आचार्य लोकेश मुनि, साक्षी गोपालदास, स्वामी दयानंद सरस्वती, ज्ञानानेश्वरी, साध्वी देवी प्रिय, संजीव कृष्ण ठाकुर, स्वामी परमानंद, स्वामी संपूर्णानंद, जमनपुरी ज्ञानेश्वरी, देवप्रिय, भद्रकाली पीठाध्यक्ष सतपाल महाराज, परमानंद हंस, संपूर्णानंद महाराज, हरिओम परिव्राजक, सांसद रतनलाल कटारिया, सांसद नायब सिंह सैनी तथा विधायक सुभाष सुधा भी उपस्थित रहे।
सांसद नायब सिंह सैनी और विधायक सुभाष सुधा ने संतों का अभिनंदन किया। मंच पर कथावाचक राजेन्द्र पराशर भी उपस्थित रहे। वैसे संत सम्मेलन में कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध अन्नक्षेत्र ब्रह्मपुरी आश्रम के संत चिरंजीपुरी जी महाराज, जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष श्री ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज, भारत साधु समाज के प्रदेशाध्यक्ष एवं स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर कुरुक्षेत्र के महंत बंसीपुरी जी महाराज, षडदर्शन साधु समाज के अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर जी महाराज इत्यादि कुरुक्षेत्र के संत मंच पर नजर नहीं आए