चंडीगढ़, 29 अगस्त (ट्रिन्यू)
बरसों से पंचायती जमीन पर काबिज लोगों को मालिकाना हक देने की कवायद के बीच सरकार ने ऐसी जमीनों ने कब्जा छुड़वाया भी है। काश्तकारों को मालिकाना हक देने के लिए कानून में बदलाव की भी तैयारी सरकार कर रही है। अधिकारियों द्वारा इसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है। वहीं दूसरा पहलू यह भी है कि दो वर्षों के दौरान सरकार प्रदेश के 12 जिलों में 13 हजार 982 एकड़ से अधिक जमीन से कब्जा छुड़वाया है।
यह जमीन अब वापस पंचायतों के नाम करवाई जा चुकी है। वहीं 19 जिलों में 936 एकड़ से अधिक भूमि से कब्जा हटाकर अब इस पर पंचायतों का कब्जा सरकार करवा चुकी है। मुलाना विधायक वरुण चौधरी से इस संदर्भ में सवाल उठाया था। विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने अपने जवाब में यह खुलासा किया। वरुण ने शून्यकाल के दौरान भी यह मुद्दा उठाया।
कैबिनेट मंत्री द्वारा टेबल किए जवाब के अनुसार, यमुनानगर में सबसे अधिक 8 हजार 724 एकड़ जमीन से कब्जा छुड़वाया है। इसी तरह कैथल में 1487, पंचकूला में 908 एकड़ जमीन पिछले दो वर्षों में पंचायतों के नाम पर परिवर्तित की है।
अम्बाला, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, करनाल, नारनौल, रेवाड़ी, सोनीपत और सिरसा ऐसे जिले हैं, जहां एक इंच भूमि भी पंचायतों के नाम परिवर्तित नहीं हुई है। अम्बाला में 355 एकड़, चरखी दादरी में 142 एकड़ और नूंह में 95 एकड़ जमीन से कब्जे हटाए हैं। काश्तकारों को राहत देने के लिए सरकार कानून में संशोधन करने जा रही है।
इसके तहत जिसका जितना पुराना कब्जा होगा, उसे उतनी ही रियायत कलेक्टर रेट में देकर जमीन का मालिकाना हक दिया जा जाएगा। इन जमीनों में जुमला मालकान, मुश्तरका मालकान, शामलात देह, जुमला मुश्तरका मालकान, आबादकार, पट्टेदार, ढोलीदार, बुटमीदार व मुकरीरदार व अन्य लाखों काश्तकारों की संपत्तियां आती हैं।
प्रदेश सरकार ने पुराने कानूनों का अध्ययन करने और नए कानून तैयार करने के लिए विशेष कमेटी गठित की हुई है। इसमें मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विकास एवं पंचायत मंत्री, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री और महाधिवक्ता शामिल हैं। अधिकारियों को कानून का प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। इसका काम अंतिम चरण में है। माना जा रहा है कि विधानसभा के आगामी सत्र में इससे संबंधित विधेयक लाया जा सकता है।