मुख्य अंश
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हरियाणा में लगातार हुई वर्षा से फसलों की भारी तबाही होते ही ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के संवाददाता तुरंत हरकत में आए पेश है राज्य के कोने-कोने में हुई बर्बादी का व्यापक जायजा
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बाजरे और धान की सबसे ज्यादा बर्बादी
देविंदर शर्मा
पिछले चार दिनों से किसानों के लिए आसमान से बारिश नहीं, मुसीबत बरस रही है। फसलें बिछ गई हैं। धान, कपास, बाजरा, आलू और खरीफ फसल चक्र की सब्जियों वाले खेतों में पानी भरा है, किसानों की बढ़िया फसल की आस बारिश बहा ले गई।
किसी शहरी बाशिंदे को सोशल मीडिया पर पानी भरे खेतों के दृश्य भले ही थोड़ा सा विचलित करें, लेकिन एक किसान के लिए, जिसने बंपर फसल की चाह में महंगे दामों पर ज्यादा झाड़ वाले बीज, खाद, कीटनाशक और उत्पादन में प्रयुक्त अन्य जरूरी सामान खरीदा, सख्त मेहनत की, समय खपाया और ऐन कटाई के वक्त बारिश और तेज हवा से तैयार फसल बिछ जाए और अपना खेत पानी में डूबे देखना पड़े, तो वाकई यह तोड़कर रख देने वाला झटका है। फेसबुक पर एक किसान ने बाजरे की बिछी फसल की फोटो डालकर कहा, ‘कंपनियों ने तो अपने कृषि संबंधी उत्पाद बेचकर कमाई कर ली, किंतु किसान अपनी भीगी फसल कहां बेचे?’
हरियाणा के उत्तरी जिलेndash; अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर, पंचकूला, कैथल और पड़ोसी पंजाब के मोहाली, लुधियाना और पटियाला जिले वर्षा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यूं तो धान की अगेती फसल कट चुकी थी, लेकिन खेतों से उठान बाकी था। भीगा अन्न अंकुरित होने लगता है, पानी में डूबने से काला पड़ जाता है। जहां इस घटनाक्रम से न केवल बाकी फसल मंडियों तक पहुंचाने में देर होगी, वहीं दाम तय करते वक्त अवमूल्यन होगा, यानी किसान का घाटा। असामयिक बारिश से बाजरे की फसल अधिक तबाह हुई है, क्योंकि काफी मात्रा में कटाई हो चुकी थी, लेकिन अभी खेतों से उठाना बाकी था। धान की जो फसल अभी खड़ी है और जिसके सामान्य होने की आस थी, अब कटाई-छंटाई-उठान में देरी होगी। कपास की फसल वाला बहुत बड़ा भूभाग पानी में डूबा हुआ है। प्रभावित क्षेत्रों में सब्जी उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ेगा।
सरकार को पहले ही धान के कुल उत्पादन में 60-70 लाख टन की कमी रहने का अनुमान था, अब हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्य प्रदेश में पिछले चार दिनों की बरसात से इसमें और इजाफा होगा। खरीफ की फसल 16.34 करोड़ टन होने के पिछले अनुमानों में अब और कटौती करनी पड़ेगी।
जहां किसान इस नुकसान के लिए विशेष गिरदावरी करने की मांग कर रहे हैं, वहीं मीडिया का मुख्य ध्यान फसल हानि से बनने वाली खाद्य़ मुद्रास्फीति पर केंद्रित रहा। हर सवाल जो मुझसे मीडिया ने पूछा, वह आने वाले हफ्तों में इसका असर खाद्य कीमतों के इर्द-गिर्द रहा या फिर कि क्या इससे आगामी त्योहारों का मजा किरकिरा होगा? हैरानी की बात है कि एक भी प्रश्न उस किसान की आजीविका की सुरक्षा को लेकर नहीं था, जिसकी फसल का नुकसान हुआ है। हालांकि, मैं पत्रकारों को यह समझाने में लगा रहा कि सूखाग्रस्त इलाके में, जहां अधिकांश किसान छोटी जोत वाले हैं, पानी की कमी से किसानों की आजीविका प्रभावित होगी और इसकी यथेष्ठ भरपाई के लिए क्या कुछ किया जा सकता है, किंतु एक भी मीडिया रिपोर्ट में इसका जिक्र तक शामिल नहीं किया गया। उनका ज्यादा जोर केवल संभावित खाद्य मुद्रास्फीति पर केंद्रित रहा और कृषक समुदाय की मुश्किलों और मुसीबतों को पूरी तरह नज़रअंदाज किया।
जलवायु परिवर्तन होने से मौसम में अप्रत्याशित बदलाव बार-बार होना अवश्यंभावी है ndash; वर्ष 2021-22 के रबी सीजन में भारी बािरश, मार्च-अप्रैल 2022 में भंयकर गर्मी, गंगा क्षेत्र में खरीफ फसल-2022 के दौरान सूखा और अब सितंबर 2022 में अत्यधिक बरसातndash; यह सब किसान के लिए स्थायी राहत एवं पुनर्वास व्यवस्था बनाने की जरूरत को इंगित करते हैं, इसमें फसल हानि अनुमान और भरपाई के लिए पक्का तंत्र बनाना शामिल है।
अप्रत्याशित मौसम किसी के हाथ नहीं होता, किंतु इसका नुकसान मुख्य रूप से किसान को भुगतना पड़ता है, जिसमें आजीविका की हानि एक है, चुनौती यहां हरेक आंसू पोंछने के लिए यथेष्ठ एवं समयानुसार भरपाई करने की है। 2016 में बड़े जोर-शोर से जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चालू की गई थी, वह किसानों की भरपाई करने में असफल रही है, लिहाजा सात राज्यों ने इस योजना से खुद को अलग कर लिया है। हाल ही में संसद को सूचना दी गयी है कि निजी क्षेत्र के 10 बीमा सेवा प्रदाताओं ने 2016-21 के बीच 24,350 करोड़ रुपये मुनाफा बनाया है। यह इसलिए हो पाया क्योंकि बीमा कंपनियों का मॉडल मुनाफा बनाने की ओर अधिक झुका हुआ है। बिना शक, सबसे बड़ी खामी फसल का औसत नुकसान आंकने की प्रणालीमें है।
ठीक इसी समय, व्यापार सरलीकरण (ईज़ ऑफ बिज़नेस) की तर्ज पर कृषि गतिविधि सरलीकरण सूचकांक विकसित करने की जरूरत है। अचानक वर्षा, ओलावृष्टि और तेज हवा इत्यादि से फसल हानि इसमें शामिल हो। यदि कॉर्पोरेट जगत की मदद के लिए व्यापार सरलीकरण में 7000 छोटे-बड़े सुधारक कदम उठाए जाते हैं तो क्यों नहीं हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अपने किसानों को दरपेश मुश्किलों और रुकावटों का हल निकालने की खातिर कृषि गतिविधि सरलीकरण सूचकांक बनाने हेतु कम-से-कम 5000 कदम उठा सकती।
15 दिन में मिले मुआवजा
हरियाणा ने फसल बीमा से बाहर की श्रेणी के किसानों के लिए जो राहत पैकेज घोषित किया है, उसमें दो स्तर हैं। यदि नुकसान 75 फीसदी से अधिक हुआ तो मुआवजा 12000 रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 15000 रुपये मिलेगा। दूसरे स्तर में, यह राशि 10000 रुपये से बढ़कर 12,500 रुपये प्रति एकड़ की जाएगी। बहुत इलाकों के कृषकों में रोष है कि अभी पिछला मुआवज़ा ही नहीं मिला। आपदा राहत सहायता की तर्ज पर, राज्य सरकारों को ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है जिसमें मुआवज़ा 15 दिनों में मिल जाये। जब देश डिजिटल इंडिया मोड की दिशा में आगे बढ़ रहा है तो इसमें देरी क्यों?
व्यक्तिगत क्षति का आकलन जरूरी
फसल बीमा योजना के तहत, एक गांव या ग्राम-पंचायत को बीमा-इकाई के रूप में गिना जाता है। अर्थात व्यक्तिगत नुकसान का आकलन नहीं। इसके पीछे रखा गया वित्तीय तर्क केवल बीमा कंपनियों का मददगार है। ऐसे समय में जब ‘किसान-ड्रोन प्रणाली’ आने से काफी आस बंधी है और यदि रिमोट सेंसिंग से एक-एक पेड़ की गिनती हो सकती है तो फिर व्यक्तिगत नुकसान का अंदाजा क्यों नहीं लगाया जा सकता। कंपनियों की कोशिश रहती है कि अव्वल तो किसी बहाने मुआवज़ा देना न पड़े, देते भी हैं तो इतना कि नुकसान की भरपाई तक नहीं हो पाती। बीमा योजनाएं किसान-मित्र बनाई जाएं।
(लेखक खाद्य एवं कृषि मामलों के विशेषज्ञ हैं)
कैथल 20 से 22%
मौसम वैज्ञानिक रमेश वर्मा ने बताया कि जिले में बरसात से पककर तैयार फसल को नुकसान हुआ है। ऐसी फसल को करीब 20 से 22 प्रतिशत नुकसान है। धान की जो फसल अभी पकी नहीं है, उसमें अब तक कोई नुकसान नहीं हुआ है। (ललित शर्मा)
नारनौल 30 से 40%
कृषि विभाग में उपनिदेशक डॉ. बलवंत सहारण के मुताबिक जिले में बाजरे की कटी फसल काे 30 से 40 प्रतिशत नुकसान हुआ है। खेत में खड़ी फसल को 10 से 20 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। करीब 97000 हेक्टेयर भूमि पर बाजरा और करीब 27000 हेक्टेयर पर कपास उगाई थी। इसमें करीब 40% फसल कट चुकी थी। (असीम यादव)
कुरुक्षेत्र 30%
कुरुक्षेत्र में 295500 एकड़ भूमि पर धान बोया हुआ है। कृषि उप निदेशक डा. प्रदीप मील का कहना है कि बारिश से लगभग 30 प्रतिशत धान काे नुकसान हुआ है। (विनोद जिंदल)
पिहोवा 20%
कृषि अधिकारी का कहना है कि क्षेत्र में 20 प्रतिशत नुकसान हुआ है। (सुभाष पौल्स्त्य)
जगाधरी 20 से 25%
कृषि विभाग के विषय वस्तु विशेषज्ञ डाॅ. राकेश पोरिया ने बताया कि जिले मे करीब 210000 एकड़ में धान उगाई गई है। इसमें 20 से 25 फीसदी फसल को नुकसान हुआ है। (अरविंद शर्मा)
पानीपत 10%
कृषि उप निदेशक वजीर सिंह गोयत ने कहा कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार लगभग 10 प्रतिशत धान की फसल को नुकसान हुआ है। गन्ना 30 हजार एकड़ में है। इसे नुकसान नहीं हुआ है। (सुरेंद्र सांगवान)
नूंह/मेवात 40 से 50%
उपमंडल कृषि अधिकारी डा. अजीत सिंह के अनुसार, बाजरे की कटी फसल को 40 से 50 फीसदी नुकसान हुआ है। जिला उद्यान अधिकारी डा. दीन मोहम्मद के अनुसार, सब्जी की लगभग 60 फीसदी फसल को नुकसान हुआ है। (सुरेंद्र दुआ)
भिवानी 50%
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, लगभग 50 प्रतिशत फसल बर्बाद होने का अनुमान है। जहां खड़ी धान, कपास व बाजरे की फसलों में बारिश का पानी भरा है, वहां फसलों का बचना मुश्किल है। (अजय मल्होत्रा)
कलायत 1200 एकड़
खंड कृषि अधिकारी रमेश श्योकंद के अनुसार, करीब 23100 हेक्टेयर भूमि में धान व 2470 हेक्टेयर में कपास बोया था। एक हजार से 1200 एकड़ भूमि में धान व 500 एकड़ कपास की फसल खराब हो गई। तेज हवा से सैकड़ों एकड़ बासमती धान बिछ गया। (मदन परमार)
फरीदाबाद 75%
कृषि विभाग के उपनिदेशक पवन शर्मा ने बताया कि धान की फसल को 75 फीसदी तक नुकसान हो चुका है। कपास में भी नुकसान कम नहीं है। बाजरे की फसल में भी नुकसान का आंकलन किया गया है। पलवल जिले के लगते क्षेत्रों में 45850 एकड़ में धान की रोपाई की गई है। इसमें करीब 28 हजार एकड़ में 50 फीसदी तथा 3500 एकड़ में 75 फीसदी नुकसान का अनुमान है। कृषि विभाग के सहायक तकनीकी प्रबंधक अतुल शर्मा ने बताया कि विभाग फसलों के नुकसान का आंकलन कर रहा है। (राजेश शर्मा)
पंचकूला 5 से 8 हजार एकड़
कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर सुरेंद्र यादव के अनुसार जिले में 40 हजार एकड़ के करीब धान की फसल थी। इसमें 5 से 8 हजार एकड़ फसल को नुकसान हुआ है। रायपुर रानी, बरवाला, पिंजौर और मोरनी में धान के अलावा सब्जियों पर भी कहर बरपा है। (एस. अग्निहोत्री)
सोनीपत 50 से 80%
कृषि उपनिदेशक डॉ. अनिल सहरावत का कहना है कि जिले में कपास की फसल को नुकसान हुआ है। इसके अलावा, करीब 4 हजार हेक्टेयर में खड़ी धान की फसल को आंशिक नुकसान हुआ है। कृषि विभाग का मानना है कि काटी गई फसल और पकी फसल में करीब 50 से 80 फीसदी तक नुकसान हो सकता है। (हरेंद्र रापड़िया)
करनाल 35%
एक अनुमान के मुताबिक बारिश से धान व अन्य फसलों को करीब 35 फीसदी तक नुकसान हुआ है। (विजय शर्मा)
पलवल 30 से 75%
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. पवन शर्मा के अनुसार पलवल जिले में लगभग दस हजार एकड़ भूमि पर कपास, धान व बाजरे की फसल को नुकसान पहुंचा है। इसमें 30 प्रतिशत से लेकर 75 प्रतिशत तक फसल नष्ट हुई हैं। (देशपाल सौरोत)
सफीदों 25%
कृषि उपमंडल अधिकारी सुशील गुप्ता का कहना है कि उपमंडल के साढ़े चार हजार हेक्टेयर में फसल प्रभावित हुई है। धान की 25 प्रतिशत फसल को नुकसान होने का अनुमान है। (राम कुमार तुसीर)
शाहाबाद 75 से 80%
कृषि विभाग के अनुसार, शाहाबाद क्षेत्र में धान की पक चुकी खड़ी फसल के दाने अंकुरित होने से 75 से 80 प्रतिशत तक नुकसान का अनुमान है। ओवरआल फसलों को 30 से 35 प्रतिशत तक नुकसान का अनुमान है। कृषि विभाग के ब्लॉक एग्रीकल्चर अधिकारी ओमप्रकाश ने बताया कि इसकी रिपोर्ट बनाकर अधिकारियों को भेज दी है। (रंजीत गुप्ता)
रेवाड़ी 50%
जिले में बाजरा व कपास की अधिकांश फसल को नुकसान हुहा है। कृषि अधिकारी डाzwj;ॅ. दीपक के अनुसार, जिले में बाजरे की 50 फीसदी और कपास की 25 से 50 फीसदी फसल खराब हुई है। (तरुण जैन)