इन्द्री, 29 अगस्त (निस)
सरकारी स्कूलों में परिवार पहचान पत्र बनाने के काम में अध्यापकों व अभिभावकों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 26 अगस्त से चल रहे इस काम में अध्यापकों को वेबसाइट का ठीक तरह से नहीं चलना, इंटरनेट स्पीड नहीं होने सहित कम्प्यूटर व लैपटॉप जैसे संसाधनों के अभाव जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। वहीं, अभिभावकों को अपना काम छोड़ कर पहचान-पत्र बनवाने के लिए स्कूल जाना पड़ता है, लेकिन काम नहीं हो पाने के कारण उन्हें बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इन समस्याओं को लेकर हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ व लैक्चरर वेल्फेयर एसोसिएशन ने रोष जताया है।
परिवार पहचान-पत्र बनाने के लिए 26 अगस्त से स्कूलों में अध्यापकों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के खंड प्रधान मान सिंह चंदेल का कहना है कि इस कार्य के लिये खासकर प्राथमिक स्कूलों में संसाधनों का अभाव है। प्राथमिक स्कूलों में इस कार्य को करने के लिये अध्यापक किराये पर लैपटाप, प्रिंटर व अन्य संसाधनों का प्रबंध कर रहे हैं।
ये हैं तकनीकी समस्याएं
कम्प्यूटर के जानकार प्राथमिक अध्यापक सबरेज अहमद, महिन्द्र कुमार व उधम सिंह ने बताया कि परिवार पहचान-पत्र बनाने में बहुत सी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई बार आधार नंबर से सर्च करने पर फैमिली आईडी में नो रिकार्ड फाउंड का संदेश आता है। नया मेंबर जोड़ने पर आधार नंबर आलरेडी एक्जिस्ट दिखाता है एवं साईट पर आधार नंबर वेरिफाई किया जाता है तो स्क्रीन पर डेमो ओथ फेल्ड लिखा आता है, जिसके कारण उस व्यक्ति का कार्य या जानकारी अपडेट करना बेहद मुश्किल हो रहा है।
प्राध्यापकों ने काली पट्टी बांध कर बनाए पहचान-पत्र
लैक्चरर वेल्फेयर एसोसिएशन से जुड़े प्राध्यापकों ने बाजू पर काली पट्टी पर बांध कर परिवार पहचान-पत्र बनाये और अध्यापकों को गैर-शैक्षणिक काम सौंपे जाने के प्रति रोष जताया। एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष अनिल अहलावत व चेयरमैन रामफल सहरावत ने कहा कि प्राध्यापक ऑनलाइन शिक्षा के जरिये महामारी के संकट के समय में बच्चों का सहयोग कर रहे थे। लेकिन तभी गैर-शैक्षणिक कार्य में अध्यापक झोंक दिए गए।