नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 27 अगस्त
सोहना नगर परिषद के अधीन अरावली की पहाड़ियों में 440 फार्म हाउसों को तोड़ने की कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। बीते तीन महीने से एक भी फार्म हाउस के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। परिषद ने मई में फार्म हाउसों के मालिकों को नोटिस देकर एक सप्ताह में अपना पक्ष रखने का समय दिया था।
गैरतपुर बांस, रायसीना व पंडाला गांव के अरावली हिल्स क्षेत्र में हजारों एकड़ क्षेत्र पर 1990 के दशक में अंसल कंपनी ने 1,100 फार्म हाउस विकसित किए थे। यहां कई बड़े नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स, खिलाड़ी व बाॅलीवुड कलाकारों ने भी फार्म हाउस खरीद लिए। बिल्डर की यह योजना विवादों में फंसी हुई है। आरोप है कि बिना किसी वैध अनुमति के अफसरों के साथ मिलीभगत करके ये फार्म हाउस विकसित किए गए हैं। फार्म हाउस विकसित करने के लिए न सिर्फ अरावली की हरियाली को उजाड़ा गया बल्कि पहाड़ का सीना भी चीरा गया। इससे एनसीआर की आबोहवा प्रभावित हुई और पहाड़ का ग्रीन कवर भी घट गया। लाॅकडाउन के दौरान ही सोहना नगर परिषद की ओर से इन फार्म हाउसों को अवैध बताकर इन्हें तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। फार्म हाउस मालिक हाईकोर्ट पहुंच गए।
अदालत ने परिषद को फार्म हाउस मालिकों को अपना पक्ष रखने का समय देने के आदेश दिए। बाद में परिषद ने मई में एक सप्ताह का समय देते हुए परिषद क्षेत्र के तहत आने वाले 440 फार्म हाउस मालिकों को दोबारा नोटिस भेज दिए। जवाब दाखिल करने से लेकर फार्म हाउस मालिकों द्वारा रखे गए तथ्यों पर सुनवाई व फैसले के लिए 15 दिन का समय निर्धारित किया गया था। बीते तीन महीने से परिषद के अधिकारी मौन साधे हुए हैं।
अधिकारियों के साथ ‘मतभेद’ हो गये दूर
सूत्र बताते हैं कि फार्म हाउस मालिकों के परिषद के अधिकारियों के साथ ‘मतभेद’ दूर हो गए हैं। इसलिए तोड़फोड़ की कार्रवाई को ढ़ीला छोड़ दिया गया है। हैरत की बात यह है कि कार्रवाई में हो रही देरी को लेकर कोई अधिकारी जवाब देने के लिए तैयार नहीं है।