सोनीपत (हप्र) : प्रशासन और आढ़तियों के बीच गेहूं खरीद प्रक्रिया को बनाए गए नियमों को लेकर बना गतिरोध लगातार चौथे दिन भी जारी रहा। इसका असर अनाज मंडी में गेहूं की खरीद प्रक्रिया पर पड़ा। आढ़तियों के हड़ताल पर रहने की वजह से शुक्रवार को भी सोनीपत अनाज मंडी में गेहूं की खरीद प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित रही और किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं, समय पर खरीद व उठान न होने की वजह से सोनीपत अनाज मंडी में गेहूं के ढेर लगने शुरू हो गए हैं। परिस्थितियों में अगर सुधार नही हुआ, तो अगले 2 से 3 दिनों में मंडी में किसानों को गेहूं उतारने के लिए जगह नहीं बचेगी। एक अप्रैल से सरकार ने गेहूं की खरीद प्रक्रिया शुरू की थी। मौजूदा रबी खरीद सीजन के अंतर्गत गेहूं की पेमेंट सरकार सीधे किसानों के खाते में करेगी जिसका आढ़ती विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर आढ़ती एसोसिएशन के संयोजक संजय वर्मा का कहना है कि आढ़ती अपनी समस्याओं को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।