गैरकानूनी गर्भपात पर सख्ती, जिला स्तर पर स्थायी समितियां गठित कीं
चंडीगढ़, 15 मई (ट्रिन्यू)
हरियाणा में लिंगानुपात सुधारने के लिए प्रदेश में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने बैठक की। बैठक में कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के प्रयासों को तेज करने और ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत उपायों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। बैठक के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निर्देश देते हुए कहा कि उपायुक्त इस मिशन को व्यक्तिगत प्राथमिकता दें और कन्या भ्रूण हत्या की समस्या से निपटने के लिए व्यापक कदम उठाएं।
दीर्घकालिक परिणाम प्राप्त करने के लिए जमीनी स्तर पर निरंतर कार्रवाई किया जाना महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के तहत, उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय स्थायी समितियों का गठन किया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) इसके सदस्य सचिव होंगे। इन समितियों का उद्देश्य निगरानी, प्रवर्तन और समन्वय को मजबूत करते हुए राज्य में लिंगानुपात को बेहतर बनाना है। इन समितियों को हर सप्ताह बैठकें करने, एमटीपी किट की बिक्री, एमटीपी और अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच तथा लिंग निर्धारण तथा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि अवैध गर्भपात का मुद्दा एक सामाजिक चुनौती है। उन्होंने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि उनके जिलों में एमटीपी किट की अवैध बिक्री न हो। लिंग-निर्धारण संबंधी प्रथाओं में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी डॉक्टर के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और हरियाणा मेडिकल काउंसिल द्वारा उनके लाइसेंस को भी रद्द किया जाएगा। 12 सप्ताह से अधिक के सभी गर्भपात की गहन जांच की जाए। सिविल सर्जनों को इन जांचों का नेतृत्व करने और कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि 10 सप्ताह से पहले हर गर्भावस्था का एएनसी पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए।