चंडीगढ़, 7 सितंबर (ट्रिन्यू)
केंद्र सरकार की ओर से जारी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के आंकड़ों से हरियाणा में सियासी संग्राम जारी है। बेशक, ये आंकड़े करीब डेढ़ साल पुराने यानी 2018-19 के हैं, लेकिन सवाल मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पर खड़े हो रहे हैं। खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में दावा किया गया था कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में प्रदेश को पहले पायदान पर लाया जाएगा।
डिपार्टमेंट ऑफ प्रोमोशन आॅफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीआईपीपी) की ओर से जारी ताजा रैंकिंग ने हरियाणा की चुनौतियां बढ़ा दी हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में यह विभाग डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला के पास है। उनका दावा है कि पहली अक्तूबर से लागू होने वाली राज्य की नई इंटरप्राइजेज एंड इम्पलाइमेंट प्रोमोशन पॉलिसी के बाद हालात में सुधार होगा। मौजूदा सरकार ने प्रदेश में उद्योग के लिए बेहतर अवसर पैदा किए हैं।
खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में जब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में हरियाणा तीसरे पायदान पर पहुंचा था तो इसके लिए खूब पीठ ठोकी गई थी। इसके बेस पर राज्य में लाखों करोड़ रुपये के निवेश के दावे भी किए गए लेकिन केंद्र द्वारा घोषित 2019 की रैकिंग ने प्रदेश में उद्योग की नई तस्वीर पेश की है।
अब सरकार का कहना है कि ईज आफ डूइंग बिजनेस की 2018-19 की रैंकिंग से न केवल हरियाणा बल्कि कई राज्य इसका शिकार हुए हैं, जिनकी रैंकिंग कम हुई है। ताजा रिपोर्ट में कुछ छोटे राज्यों और केंद्रशासित राज्यों की रैंकिंग तो बढ़ी है, लेकिन उद्योगों के लिए पहचान रखने वाले अधिकांश राज्यों की घट गई है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत राज्यों की रैंकिंग तैयार करने के लिए नए मानकों के आधार पर सर्वे हुआ है। इस सर्वे में 25 से ज्यादा नए मानक शामिल किए गए थे, जबकि पहले से लागू कई मानक हटा दिए गए थे। इन महत्वपूर्ण बदलावों के चलते रैंकिंग में उलटफेर हुआ है।
डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला का कहना है कि डीआईपीपी की ओर से जारी ताजा रैंकिंग बीते वित्त वर्ष या फिर मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के कार्यकाल की नहीं है। यह साल 2018-19 की है और इसके लिए जून 2019 तक सर्वे किया गया था। इससे संबंधित सबूत व स्पष्टीकरण अगस्त 2019 तक जुटाए गए थे। यानी इस रैंकिंग में 2018 के कुछ महीने और 2019 के शुरूआती महीनों में निवेशकों के अनुभव को ही शामिल किया गया है।