दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 23 सितंबर
हरियाणा में कांग्रेस के संगठन गठन को लेकर अंदरखाने घमासान छिड़ा हुआ है। सभी 22 जिलों से केंद्रीय काेऑर्डिनेटर फीडबैक लेकर हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया को सौंप चुके हैं। बाबरिया की ओर से सभी जिलों के लिए संभावित जिलाध्यक्ष के नामों का पैनल भी बनाया जा चुका है, लेकिन उनकी वन-टू-वन मीटिंग की कवायद सिरे नहीं चढ़ रही है। सूत्रों का कहना है कि एसआरके ग्रुप यानी कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी की ‘तिकड़ी’ ने प्रभारी से मुलाकात नहीं करने का निर्णय लगभग कर लिया है।
दिल्ली से जुड़े भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि प्रभारी पिछले दो दिनों से वन-टू-वन मीटिंग की कोशिशें कर रहे हैं, ताकि प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श करके जिलाध्यक्ष को लेकर सहमति बनाई जा सके। खबरें इस तरह की भी हैं कि राष्ट्रीय महासचिव कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया से खुद को लगभग अलग कर लिया है। उन्होंने एक तरह से प्रभारी पर ही सबकुछ छोड़ दिया है कि वे जिस तरीके से चाहें जिलाध्यक्षों का चयन कर सकते हैं।
माना जा रहा है कि प्रभारी तक भी तिकड़ी की नाराजगी की भनक पहुंच चुकी है। शनिवार को बाबरिया दिनभर नयी दिल्ली में ही डटे रहे। इससे पहले उन्होंने दो दिन प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ वन-टू-वन मीटिंग करने की कोशिश की। कुछ नेताओं के साथ उनकी बातचीत होने की भी खबर है, लेकिन एंटी हुड्डा खेमा के अधिकांश नेताओं ने उनसे दूरी बना ली है। शाम को बाबरिया नई दिल्ली से गुजरात के लिए रवाना हो गए।
अब वे 27 सितंबर की रात को वापस नई दिल्ली पहुंचेंगे। ऐसे में इस माह के आखिरी सप्ताह में ही संगठन गठन को लेकर बैठकें होने के आसार हैं। यह भी संभव है कि अगर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ उनका बैठकों का शैड्यूल तय नहीं होगा तो वे काेऑर्डिनेटर की रिपोर्ट के हिसाब से जिलाध्यक्षों के पैनल की सूची पार्टी नेतृत्व को सौंप देंगे। इसके बाद संगठन गठन की गेंद पूरी तरह से कांग्रेस हाईकमान के पाले में होगी। एंटी हुड्डा खेमा भी यही चाहता है कि अब संगठन का फैसला प्रभारी नहीं बल्कि नेतृत्व के स्तर पर हो।
इससे पहले काेऑर्डिनेटर की जिलावार हुई बैठकों के दौरान हुड्डा और एंटी हुड्डा खेमा के नेताओं में विवाद हो चुका है। इस दौरान ना केवल नारेबाजी हुई थी बल्कि कुछ जगहों पर धक्का-मुक्की और मारपीट तक की नौबत आ गई है। बैठकों के दौरान हंगामा करने वालों की सूची भी प्रभारी ने काेऑर्डिनेटर से तलब की हुई है। बताते हैं कि काेऑर्डिनेटर ने दो तरह की रिपोर्ट बाबरिया को दी हैं। पहली रिपोर्ट में संभावित नेताओं के नाम हैं तो दूसरी में उन लोगों के नाम हैं, जिन्होंने बैठकों के दौरान हंगामा किया।
इस माह नहीं आ पाएगी लिस्ट
जिस तरह से कांग्रेसियों के बीच घमासान छिड़ा हुआ है, उससे साफ है कि संगठन गठन की कोशिश अभी सिरे नहीं चढ़ पाएगी। राहुल गांधी भी पंद्रह सितंबर तक संगठन गठन करने के निर्देश प्रभारी को दे चुके हैं, लेकिन यह समय बहुत पहले बीत चुका है। इस महीने में पहली ही लिस्ट आने पर संशय है। गुटों में बंटी कांग्रेस के अधिकांश नेता अपने-अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष पद पर एडजस्ट करवाना चाहते हैं। इसी वजह से पिछले करीब दस वर्षोँ से राज्य में कांग्रेस बिना संगठन के ही चल रही है।
‘विश्वास’ को लेकर उठ रहे सवाल
कांग्रेस के हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया के प्रति ‘विश्वास’ को लेकर अब बड़े सवाल उठने लगे हैं। एंटी हुड्डा खेमा के नेताओं ने जिस तरह से प्रभारी से दूरी बनाई है, उससे साफ है कि वे उन पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। जिलों की बैठकों के दौरान बाबरिया के खिलाफ नारेबाजी भी हो चुकी है। बाबरिया पर ये आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे विशेष ग्रुप को अधिक तवज्जो दे रहे हैं। यह भी एक बड़ा कारण है, जो संगठन गठन में रोड़ा बन रहा है।
जिलाध्यक्षों की चयन प्रक्रिया शुरू की हुई है। जिलों से आई रिपोर्ट के हिसाब से प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ वन-टू-वन संवाद शुरू किया है। कुछ के साथ शुक्रवार को चर्चा हुई तो कुछ के साथ शनिवार को बातचीत हुई है। अभी गुजरात जा रहा हूं। वहां से लौटने के बाद फिर से बैठकें होंगी। इसके बाद नेतृत्व को सूची भेज दी जाएगी। हमारी कोशिश सर्वसम्मति से पदाधिकारियों का फैसला करने की है।
-दीपक बाबरिया, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी