अरविंद शर्मा/ निस
जगाधरी, 17 सितंबर
जगाधरी क्षेत्र का नयागांव इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल यहां के बेहद गरीब परिवार के 33 वर्षीय युवक जतिंद्र कंबोज को समाजसेवियों और दानी सज्जनों की मदद से नया जीवन मिला है। जेब में मगज़ 19 रुपये की पूंजी बची थी लेकिन समाजसेवी और 36 बिरादरी के लोगों ने मदद के हाथ बढ़ाकर बीमार युवक के इलाज के लिये 70 लाख रूपये की व्यवस्था कर दी। इन्हीं पैसों की मदद से युवक जितेंद्र का देश के नामचीन अस्पताल एमजीएम चेन्नई में संयुक्त हार्ट व लंग्स प्रत्यारोपण कराया गया। जिसके बाद जितेंद्र बाल-बच्चों के साथ स्वस्थ जीवन जी रहा है।
नयागांव में रविवार को मीडिया से बात करते हुए समाज सेवी एवं प्रसिद्ध उद्योग पति रोशन लाल कंबोज व व्यवसायी धर्मवीर कंबोज ने बताया कि धूम सिंह कंबोज के पास जतिंद्र एक ही बेटा है। यह एक छोटी सी प्राइवेट नौकरी कर परिवार की गुजर बसर कर रहा था कि अचानक पिछले साल अक्तूबर में जितेंद्र की आवाज चली। स्थानीय अस्पताल में डॉक्टर ने चेकअप के बाद जितेंद्र को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया। वहां पर डॉक्टर द्वारा कराये गये टेस्ट में इसके हार्ट और लंग्स में दिक्कत पाई गई। डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट को अंतिम विकल्प बताया। साथ में कहा कि चंडीगढ़ में यह सुविधा नहीं है। जतिंद्र ने गुरूग्राम के मेदांता व दिल्ली के एम्स में भी डाक्टरों को दिखाया,लेकिन बात नहीं बनी। इलाज के लिये भटक रहे परिवार के पास जमापूंजी खत्म हो गई, जेब में महज़ 19 रुपये शेष रह गये। तब उद्योगपतियों रोशनलाल कंबोज व धर्मवीर कंबोज ने जतिंद्र को हूडा सेक्टर 17 जगाधरी में डॉ. प्रतीक गुप्ता से सिविल डिस्पेंसरी से मिलवाया। डॉ. प्रतीक ने चेन्नई के एमजीएम अस्पताल का जिक्र किया। डॉ. प्रतीक ने अपने पिता जी महेंद्र खदरी का इलाज भी एमजीएम में कराया था। सर्जरी पर 60 से सत्तर लाख रूपये खर्च आना था।
एमजीएम अस्पताल में जितेंद्र कंबोज की तीन बार विजिट हुई। आखिर में पिछले साल 12 दिसंबर को एमजीएम में सफल सर्जरी हो गई। 40 दिन बाद उसे अस्पताल से छुट्टी हुई।
पिता ने जतायी जमीन बेचने की इच्छा
जतिंद्र के पिता के पास एक एकड़ खेती की जमीन है जिसे वे अपने बेटे के इलाज के लिये बेचने जा रहे थे। कारोबारी रोशन लाल ने धूमसिंह कंबोज को ऐसा करने से मना कर दिया। रोशन लाल ने बताया कि उन्होंने जतिंद्र की सर्जरी के लिए लोगों से मदद करने की अपील करनी शुरू कर दी। इसके लिये कई माध्यमों का सहारा लिया गया। गांव ही नहीं देश भर में जानने वालों से यह अपील की गई। रोशन लाल के अनुसार जतिंद्र के इलाज के लिए छत्तीस बिरादरी के लोग आगे आने लगे। इसमें बच्चों से लेकर हर उम्र के व्यक्ति ने यथासंभव सहयोग किया। जितेंद के इलाज के लिए पांच रूपये से लेकर लाखों रूपये की मदद करने वाले भी सामने आए। पहले तीन लाख रूपये जमा हुए। इसके बाद सात लाख आए। इसके बाद मदद का सिलसिला शुरू हो गया।