सोनीपत, 2 जनवरी (हप्र)
37 दिनों से कुंडली बाॅर्डर पर बैठे किसान बारिश और कड़ाके की ठंड के बावजूद आंदोलन में डटे हुए हैं। किसान न तो कंपकंपाती सर्दी से घबरा रहे हैं और न ही बारिश से। सर्दी के बीच बारिश की बूंदों ने रात के समय किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी, लेकिन किसानों का हौसला बढ़ता जा रहा है।
बारिश से बचने के लिए रातभर किसान ट्रालियों में परिवार समेत दुबके रहे। सुबह होने पर किसानों ने तिरपाल तान दिए। पहले लगाए गए तंबुओं पर पॉलिथिन लगाई गई। सभास्थल पर पहुंचने से भी किसान नहीं रूके। इस दौरान मैट गीले होने के कारण किसान बैठे नहीं, बल्कि खड़े होकर ही अपने नेताओं का भाषण सुना। 15 दिन पहले सभास्थल पर वाटरप्रूफ मंच तैयार कर लिया गया था। साथ ही वाटरप्रूफ झोंपड़ीनुमा टेंट भी किसानों के काम आए, हालांकि बुजुर्गों व महिलाओं को कुछ तकलीफ जरूर हुई। सुबह बारिश के बीच आसपास के ग्रामीण और किसान धरने स्थल पर बचाव सामग्री के साथ पहुंच गए। किसानों को न केवल तिरपाल उपलब्ध करवाए गए, बल्कि तबुंओं पर लगाने के लिए पॉलीथिन भी लेकर पहुंचे। इस दौरान सोनीपत व हरियाणा के अन्य क्षेत्रों से पहुंचे किसानों ने धरने पर बैठे किसानों के लिए चाय, दूध व गर्म पेय पदार्थाें का इंतजाम किया गया।

हलवा, सूप का जलवा
बारिश से बढ़ी सर्दी को देखते हुए सुबह से ही लंगर शुरू कर दिया गया। किसानों ने लंगर में हलवा व सूप को तवज्जो दी। खास बात यह है कि किसानों के रूटीन में ज्यादा फर्क नहीं आया और वे पहले की तरह टहलते रहे, हालांकि इस दौरान कई जगह सड़क पर जलभराव हो गया था।
खड़े होकर सुना भाषण
भाषणों के दौरान नेताओं ने किसानों में उत्साह भरने के लिए सिख गुरुओं के जयकारे लगाए। किसानों ने खड़े होकर उनका भाषण सुना। कुछ देर बाद नये तिरपाल पहुंचा दिए गए, जो सभा स्थल के गीले मैट पर बिछा दिये। किसानों ने उस पर बैठकर भाषण के साथ गुरबाणी का भी आनंद लिया। इस दौरान बुजुर्गों को ट्राॅलियों में ही रहने को कहा गया।