बांड राशि के भंवर में फंसे स्कूल, निदेशालय ने नहीं भेजी सूची
हिसार, 28 जनवरी (हप्र)
प्रदेश के अस्थायी व परमिशन प्राप्त स्कूल शिक्षा विभाग के बॉंड राशि के भंवर में फंस गए हैं। जिसके चलते इन स्कूलों में पढ़ रहे हजारों बच्चे व उनके अभिभावक असमंजस की स्थिति में है। शिक्षा बोर्ड ने जहां बोर्ड कक्षाओं के साथ साथ गैर बोर्ड कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाओं का शैड्यूल जारी कर दिया है, वहीं इन स्कूलों के परीक्षा फार्म अभी तक नहीं भरे गए हैं। बोर्ड प्रशासन इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों की सूची न भेजने की बात कर रहा है, वहीं शिक्षा विभाग इसके पीछे स्कूलों द्वारा बॉंड राशि न भरने का तर्क दे रहा है। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने इसपर कड़ा विरोध जताते हुए इसे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करार दिया है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि पिछले दिनों शिक्षा मंत्री से मुलाकात के बाद इस बात पर सहमति बनी थी कि 2003 से पहले के अस्थाई स्कूलों को बिना बॉंड राशि भरे 31 मार्च तक मान्यता लेने की छूट रहेगी और इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की बोर्ड परीक्षाएं ली जाएंगी, वहीं 2003 से 2007 तक के परमिशन प्राप्त जो स्कूल बांड राशि नहीं भरेंगे, उन्हें नए शैक्षणिक सत्र से एडमिशन नहीं कर पाएंगे, लेकिन उन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की इस बार बोर्ड परीक्षा ले ली जाएंगे। इस आश्वासन के बावजूद विभाग ने बिना बांड राशि स्कूलों की सूची बोर्ड में अभी तक नहीं भेजी है। कुंडू ने कहा कि शिक्षा बोर्ड ने एक से 17 फरवरी तक बोर्ड परीक्षाओं की प्रैक्टिकल, गैर बोर्ड कक्षाओं की वार्षिक परीक्षा 15 फरवरी से तथा 27 फरवरी से बोर्ड परीक्षा लेने का शेड्यूल जारी कर दिया है, लेकिन अस्थाई स्कूलों व परमिशन प्राप्त स्कूलों की सूची बोर्ड में न पहुंचने के कारण इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के परीक्षा फार्म अभी तक नहीं भरे गए हैं। इससे हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।
डायरेक्टर से मुलाकात आज
संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने सवाल उठाया कि अगर बोर्ड को इन स्कूलों के बच्चों की परीक्षा लेनी ही नहीं थी तो इन स्कूलों में एडमिशन की परमिशन क्यों दी गई। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर संघ एक बार फिर सोमवार को शिक्षा विभाग के डायरेक्टर से मिलेगा और अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा। अगर विभाग ने जल्द ही उक्त स्कूलों की सूची बोर्ड मुख्यालय नहीं भेजी और बच्चों की परीक्षा नहीं ली गई तो स्कूल संचालक सडकों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
