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अम्बाला शहर, 4 अप्रैल
पोर्टल पर पंजीकृत सभी किसानों के बिना शैड्यूल गेट पास कटने से आढ़तियों और किसानों ने राहत की सांस ली है। अभी तक यह शैड्यूल सभी के गले की फांस बन चुका था और विवाद के आसार पैदा हो गए थे। संभवतया इसी कारण क्षेत्र की सबसे बड़ी अम्बाला शहर की अनाज मंडी में मानकों के अनुसार आई पूरी गेहूं की खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई।
जानकारी के अनुसार बिना शैड्यूल गेट पास काटे जाने का आदेश मौखिक रूप से दिया गया है। इसमें मार्केट कमेटी के सचिवों को कहा गया है कि वे अपने विवेकानुसार निर्णय लेकर गेट पास काटे जाने का निर्णय लें। कोविड-19 के बचाव के लिए निर्धारित निर्देशों का पालन अवश्क किया जाए और मंडी में जगह उपलब्ध होने के अनुसार बिना शैडयूल गेट पास काट दिए जाएं। इन्हीं आदेशों के चलते आज जिला की सभी मंडियों में बिना शेड्यूल गेट पास कटने प्रारंभ कर दिए गए। इसके बाद पंजाब से भी किसान अपनी आवक ला सकेंगे। अम्बाला शहर की मंडी तो अधिकतम पंजाब के किसानों की आवक पर ही निर्भर है। मालूम हो कि दैनिक ट्रिब्यून ने 4 अप्रैल के अंक में इस संबंध में विस्तार से समाचार प्रकाशित किया है कि किस प्रकार शैड्यूल प्रणाली गले का फांस बन कर रह गई है।
दरअसल गेहूं के देरी से पकने के कारण जिला की मंडियों में आवक में कोई तेजी नहीं है लेकिन जो भी किसान गेहूं ला रहा है वह उसे तुरंत बेचना चाहता है लेकिन उसमें से अधिकतर में नमी की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण सरकारी एजेंसियों को खरीद करने में दिक्कत हो रही है। जिले की सभी मंडियों व खरीद केंद्रों पर अभी तक मात्र 18390 क्विंटल गेहूं की आवक रिकार्ड की गई जिसमें से मानकों पर खरी उतरी 6260 क्विंटल गेहूं ही सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद की गई, शेष को अभी सुखाया जा रहा है।
सरकार ने 12 प्रतिशत नमीयुक्त गेहूं को खरीदने के आदेश दे रखे हैं लेकिन कट के साथ इस नमी की मात्रा अधिकतम 14 प्रतिशत तक ही हो सकती है। आढ़तियों व किसानों का कहना है कि अप्रैल के पहले या दूसरे सप्ताह में गेहूं की फसल एकदम से पककर तैयार हो जाती है। पंद्रह दिन की मारधाड़ वाला सीजन होता है गेहूं का। इस दौरान मौसम खराब हो जाये तो किसानों की सांस अटक जाती है। मौसम सूखा रहे तो और ज्यादा दिक्कत। खेत बारूद के ढ़ेर बन जाते हैं। हर समय आग लगने का खतरा किसान को ठीक से सोने भी नहीं देता। न किसान के पास इतनी व्यवस्थित जगह है कि वह अपनी सारी फसल स्टोर कर सके और न ही सस्ती लेबर। ऐसे में पार्टल पर पंजीकृत होने वाले किसानों को जब चाहें अपनी फसल मंडी में लेकर आ सकने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
किसानों का एफसीआई कार्यालय पर प्रदर्शन आज
अम्बाला शहर (हप्र) : कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 25 दिसंबर से टोल फ्री आंदोलन चला रहे किसानों ने आज जहां जीटी रोड शंभु टोल पर धरना जारी रखा वहीं 5 अप्रैल को एफसीआई के अम्बाला छावनी स्थित आफिस पर धरना देने का ऐलान कर दिया। गेहूं कटाई के कारण टोल प्लाजा पर जुटने वाले किसानों की संख्या में कमी दर्ज की गई है लेकिन उत्साह में कमी नहीं है। आज का पूरा दिन भाषण, लंगर और नारेबाजी में व्यतीत हुआ। संयुक्त किसान मोर्चा नेता जय सिंह जलबेड़ा ने बताया कि केंद्रीय समिति की ओर से आहवान मिलने के बाद अम्बाला में भी 5 अप्रैल को एफसीआई के कार्यालय के समक्ष धरना दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि गेहूं में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत स्वीकार करने और किसानों को बिना शैडयूल अपनी फसल बेचने की स्वतंत्रता की मांग को लेकर यह धरना दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष तक खरीद एजेंसियां 14 प्रतिशत नमी वाली गेहूं किसानों से खरीदती रही हैं लेकिन इस बार सरकार ने इस नमी की मात्रा को कम करके 12 प्रतिशत कर दिया जो किसानों के खिलाफ है और परेशानी पैदा कर रहा है। इसी प्रकार किसान जब चाहें अपनी फसल काट कर मंडी में ले आएं, इसकी उन्हें स्वतंत्रता होनी चाहिए। मैसेज प्रणाली स्वीकार नहीं की जा कसती। इसी बीच अपेक्षाकृत काफी कम किसानों के साथ शंभू टोल प्लाजा पर किसानों का धरना जारी रहा। यहां किसानों ने कहा कि केंद्र को अपना अड़ियल रुख छोड़कर तीनों कृषि बिलों को रद कर देना चाहिए और एमएसपी के लिए कानून लाए जाये। किसानों का कहना है कि आंदोलन को लेकर उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है लेकिन गेहूं कटाई के कारण किसानों का आवागमन हो रहा है जिससे संख्या थोड़ी नजर आती है। किसानों का कहना है कि वह मजबूरी में सड़क पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर हैं। जब तक उनके नेता निर्देश नहीं देंगे तब तक अम्बाला में आंदोलन यूं ही चलता रहेगा।