कैथल (हप्र) : मून लाइट पब्लिक स्कूल में देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई गई। इस कार्यक्रम में रामदिया चावरिया ने भी पहुंचकर सावित्रीबाई फुले को याद किया। पालाराम सैनी ने बताया कि सावित्रीबाई फुले ही वह महिला थीं, जिन्होंने महिलाओं के प्रति समाज में फैली कुरीतियों के बीच उनमें शिक्षा की अलख जगाई थी। रामदिया चावरिया ने कहा कि जिस दौर में महिलाएं घर तक सीमित थीं, उस जमाने में उन्होंने महिलाओं को एकजुट करने का काम किया। एक जनवरी, 1848 को नौ बालिकाओं को लेकर पुणे में कन्या पाठशाला की शुरुआत कर अपूर्व कार्य किया। इस अवसर पर जितेंद्र सैनी, बंटी सैनी, सुमित कल्याण, सोनू सैनी, पूजा सैनी, दिव्या मक्कड़, अंजू, दलजीत, कोमल, प्रीति, रितू, आरती, ज्योति ने भी सावित्रीबाई फूले की जयंती पर उन द्वारा किए गए समाज सुधारों का उल्लेख किया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।