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तमिलनाडु की साड़ी, पंजाब की जूती और हिमाचल का शॉल छाया

बहादुरगढ़ में राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं सांस्कृतिक मेला

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बहादुरगढ़ में आयोजित हस्तशिल्प मेले में शनिवार को छात्राओं को मिनिएचर पेंटिंग सिखाते जयपुर के कलाकार हनुमान सैनी। -निस
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रोहित विद्यार्थी/निस

बहादुरगढ़, 27 अक्तूबर

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बहादुरगढ़ में चल रहा राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं सांस्कृतिक मेला हस्तशिल्प और दूसरे कलाओं के प्रेमियों को लुभा रहा है। मेले में आए राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शिल्पी कला प्रेमियों को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। रविवार को छुट्टी के दिन यहां लोगों की भीड़ उमड़ी। शाम को लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया। राजस्थान के जयपुर से आए नेशनल अवार्डी चित्रकार हनुमान सैनी अपने स्टाल पर छात्र-छात्राओं को मिनिएचर पेंटिंग सिखा रहे हैं। यह उत्सव 30 अक्तूबर तक चलेगा। नाबार्ड के सहयोग से प्राचीन हस्तशिल्प कारीगर एसोसिएशन बहादुरगढ़ व रूरल एंड अर्बन डेवलपमेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित 10 दिवसीय उत्सव में देशभर से आए शिल्पकार व बुनकर भाग ले रहे हैं। तमिलनाडु से दक्षिण भारतीय साड़ियां, असम का कपड़ा व शिल्प कला, गुजरात का हाथ से बना कपड़ा, जम्मू कश्मीर व हिमाचल का शॉल, उत्तराखंड का कपड़ा, पंजाब की जूती व फुलकारी सूट, बंगाल की ज्वेलरी, बंगाल का कपड़ा व जूट शिल्प कला, राजस्थान के सांगानेरी प्रिंट व शानदार मिनिएचर पेंटिंग, आदिवासी क्षेत्र से गोंड पेंटिंग, बनारसी साड़ी, लाख की चूड़ियां, उत्तर प्रदेश की पीतल की मूर्तियां, हरियाणा के रेवाड़ी में बने पीतल के बर्तन और हरियाणा व  राजस्थान की लकड़ी पर नक्काशी लोगों को

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खूब भा रही है। यहां महिलाओं के विभिन्न समूहों द्वारा शिल्पकला से बनाई वस्तुएं, मिट्टी के दीये, गणेश लक्ष्मी की प्रतिमाएं व सजावटी सामान बिक रहा है। भारतीय किसानों द्वारा तैयार ऑर्गेनिक उत्पादों को नाबार्ड के मेले में खासतौर पर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मेले में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर के किसानों द्वारा ऑर्गेनिक खेती से पैदा किए गए उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। हिमाचल के परंपरागत व्यंजनों में लोग रुचि दिखा रहे हैं। उज़्बेकिस्तान के कपड़े, ज्वेलरी, चीनी मिट्टी से बने बर्तन और वहां की पारंपरिक वेशभूषा मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी हैं।

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