करनाल, 16 फरवरी (हप्र)
करनाल नगर निगम में हुए नो ड्यूज घोटाले के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। नगर निगम अधिकारियों द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर के बाद पुलिस आरोपियों तक पहुंचने के प्रयास में जुटी है। बीते करीब तीन महीने में बनी 209 फर्जी आईडी के सहारे नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेकर तहसील में रजिस्ट्री होने का मामला अब तक उजागर हो चुका है। निगम के ज्वायंट कमिश्नर गगनदीप सिंह और ईओ निशा शर्मा ने आज मीडिया के सामने स्वीकार किया कि घोटाला हुआ है और पुलिस मामले की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि इसका नुकसान अंतत भूमि खरीदने वाले को होगा। उनकी रजिस्ट्री कैंसल की जाएगी और एफआईआर भी दर्ज होगी। आशंका है कि इस घोटाले को अंजाम देने वालों के तार निगम कार्यालय और तहसील आफिस से जुड़े हुए हैं।
ज्वायंट कमिश्नर गगनदीप सिंह ने कहा कि घोटालेबाजों ने फर्जी नो ड्यूज सर्टीफिकेट लेने के लिए निगम के अधिकारियों के फोन नंबर का भी सहारा लिया है और 70 फीसदी मामलों मेें एक ही नंबर का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बीते साल आदेश जारी किए थे कि जमीन की रजिस्ट्री के लिए पोर्टल से नो ड्यूज सर्टीफिकेट लेना होगा। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में टू टायर सिस्टम है और पोर्टल पर एप्लीकेशन आने के बाद निगम अधिकारी जांच करते हैं कि कहीं कालोनी अनअप्रूव्ड तो नहीं है लेकिन घोटालेबाजों ने सरकार के सिस्टम में सेंध लगा दी।
ईओ के फोन पर एक ही रात आये 17 ओटीपी, खुला राज
इस घोटाले की पोल उस समय खुली जब निगम की ईओ निशा शर्मा के फोन पर एक की रात में नो ड्यूज के 17 ओटीपी मैसेज आए। निशा शर्मा ने बताया कि 28 जनवरी की रात को रात 9 बजे से 2 बजे तक यह मैसेज चलते रहे। सुबह उन्होंने इस मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इसके बाद निगम अधिकारी कई दिनों तक चंडीगढ़ और करनाल तहसील के अलावा अपने रिकार्ड की खाक छानते रहे। कई अधिकारियों से पूछताछ हुई। निशा शर्मा ने कहा कि उनके अपने नंबर से भी फर्जी आईडी दो बार बनी है लेकिन उन्हें कोई ओटीपी नंबर नहीं आया। निगम अधिकारियों ने कहा कि संभव है कि कोई बड़ा गैंग इस प्रकार साफ्टवेयर हैक करके घोटालों को अंजाम देने में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा कि मामला पुलिस के पास है। इसकी शीघ्र जांच होनी चाहिए।