दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 2 अक्तूबर
हरियाणा के दो हलके बादली और बाढड़ा इन दिनों राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की सुर्खियां बने हुए हैं। बादली हलका झज्जर जिले में आता है और बाढ़डा हलका दादरी जिले का हिस्सा है। दोनों ही जगह ग्राम पंचायतें थी और सरकार ने दोनों को अपग्रेड करके नगर पालिका का दर्जा दे दिया। सरकार का यह फैसला लोगों को रास नहीं आया। प्रदेश के इतिहास में पहला ऐसा मौका है, जब पंचायत रखनी है या फिर पालिका बनानी है, इसे लेकर सरकार को जनमत संग्रह करवाना पड़ा।
बड़ी बात यह है कि दोनों ही कस्बों के लोगों ने सरकार के फैसले को सिरे से खारिज कर दिया है। बादली हलके के जनमत संग्रह के नतीजों से साफ है कि 70 प्रतिशत से अधिक लोग ग्राम पंचायत ही रखने के पक्ष में हैं। कुल 1570 लोगों ने जनमत संग्रह के दौरान बादली को नगर पालिका रखे जाने के पक्ष में वोट डाले हैं। वहीं तीन हजार लोगों के वोट इसके विरोध में हैं और वे चाहते हैं कि बादली को फिर से ग्राम पंचायत का दर्जा दिया जाए। जनमत संग्रह के दौरान 125 लोगों के वोट रद्द हो गए। हालांकि अभी तक बाढ़डा हलके में केवल सर्वे ही हुआ है, जनमत संग्रह नहीं करवाया गया है। बताते हैं कि अब सरकार यहां भी जनमत संग्रह करवाने की तैयारी में है ताकि लोगों की भावनाओं के हिसाब से निर्णय लिया जा सके। राजनीतिक रूप से ये दोनों ही हलके काफी अहम हैं। बादली हलके से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ विधायक रहे हैं और वे वर्तमान में भी काफी एक्टिव रहते हैं। धनखड़ के प्रयासों से ही बादली को उपमंडल का दर्जा मिला था।
वर्तमान में कांग्रेस के कुलदीप वत्स यहां से विधायक हैं। वहीं बाढ़डा हलके में जजपा की नैना सिंह चौटाला विधायक हैं। नैना के पुत्र दुष्यंत सिंह चौटाला सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। मौजूदा गठबंधन सरकार ने ही बाढ़डा और इसके साथ लगते हसांवास खुर्द गांव को मिलाकर नगर पालिका का दर्जा दिया। 2014 में यहां से भाजपा के सुखविंद्र सिंह मांढी विधायक थे और वर्तमान में वे भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हैं। मांढी पालिका बनाए जाने के पूरी तरह से खिलाफ हैं। बाढ़डा नगर पालिका में कुल 11 वार्ड बनाए गए हैं। डीसी की ओर से यहां करवाए गए सर्वे में कुल 1018 लोगों से बातचीत की गई। इनमें से 908 लोगों ने साफ तौर पर कहा कि वे ग्राम पंचायत बहाल करने के पक्ष में हैं और 78 लोग चाहते थे कि नगर पालिका बनी रहे। 32 लोगों ने दोनों ही पक्ष में अपनी राय रखी थी। इस सर्वे रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के बाद दोबारा रिपोर्ट तैयार की गई। दूसरी रिपोर्ट के अनुसार, 7009 लोगों से बात की गई और इनमें से 3 हजार 968 लोगों ने नगर पालिका का समर्थन किया। यानी करीब 56 प्रतिशत लोग पालिका के पक्ष में थे। रोचक बात यह है कि पहली रिपोर्ट तो चंडीगढ़ नहीं पहुंची, लेकिन दूसरी रिपोर्ट सीएम तक भेजी गई।
रिपोर्ट बंद कमरे में बैठकर बनाने का लगाया आरोप
इस मामले में अब यह आरोप लग रहे हैं कि दूसरी रिपोर्ट ‘बंद’ कमरे में बैठकर तैयार की गई। इसके पीछे दलील दी जा रही है कि दोनों गांवों में वोटरों की संख्या 5500 के लगभग है तो फिर 7 हजार से अधिक लोगों से बातचीत कैसे हुई। यहां बता दें कि बाढ़डा को नगर पालिका का दर्जा देने के लिए सरकार को नियमों में भी छूट देनी पड़ी। बाढ़डा और हसांवास खुर्द गांव को मिलाने के बाद भी आबादी पंद्रह हजार नहीं हो पा रही थी। नियमों के हिसाब से पालिका गठन के लिए इतनी आबादी होनी जरूरी है। पालिका बनने के बाद से ही विरोध हो रहा है। वहीं बाढ़डा व हसांवास खुर्द गांव के लोग सरकार के फैसले के विरोध में आंदोलनरत हैं। उन्होंने क्रमिक अनशन शुरू किया हुआ है। दूसरी ओर, बादली के जनमत संग्रह की रिपोर्ट अब सरकार के पास भेजी जाएगी। यह देखना रोचक होगा कि सरकार जनमत संग्रह की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेती है या फिर बाढ़डा की तरह बादली का मामला भी अधर में लटकता है। बहरहाल, दोनों ही कस्बों के लोग खुलकर इसका विरोध कर रहे हैं और सरकार ने पंचायत बहाली की मांग पर अड़े हैं।
‘मैं जनमत संग्रह के पक्ष में हूं। जनमत के आधार पर जो लोग चाहते हैं, वह होना चाहिए। मेरे चाहने या नहीं चाहने का मतलब ही नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ नेता कहते थे कि कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। अब जनमत संग्रह के नतीजों ने बता दिया है कि अधिकांश लोग पंचायत बहाली चाहते हैं।’
-कुलदीप वत्स, विधायक बादली
‘प्रशासन को सर्वे कराना चाहिए और जनभावनाओं के हिसाब से फैसला हो। मैं इस बाबत सीएम को पत्र भी लिख चुकी हूं और विस में भी मुद्दा उठाया था। लोग चाहते हैं कि पालिका भंग करके पंचायत बने तो बननी चाहिए। बादली की तर्ज पर बाढ़डा में भी जनमत संग्रह हो।’
-नैना चौटाला, विधायक बाढ़डा
‘सरकार को लोगों की बात पूरी करनी चाहिए। मैं सीएम से भी इस मुद्दे पर मिल चुका हूं। विभिन्न संगठनों व ग्रामीणों ने सरकार को ज्ञापन भेजे हैं। पंचायत और नगर पालिका के बीच के विवाद का फैसला जनमत संग्रह से होना चाहिए।’
-सुखविंद्र सिंह श्योराण,पूर्व विधायक बाढ़डा