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दक्षिण हरियाणा में चला राव इंद्रजीत सिंह का जादू

अहीरवाल क्षेत्र ने तीसरी बार सरकार बनाने का रास्ता किया साफ, गुरुग्राम में 9 में से 6 सीटें जीती

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रेवाड़ी के रामपुरा हाउस में जीत के बाद कार्यकर्ताओं से रुबरु होते केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व आरती राव। -हप्र
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तरुण जैन/हप्र

रेवाड़ी, 8 अक्तूबर

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चुनाव परिणामों ने साबित कर दिया कि दक्षिण हरियाणा यानी अहीरवाल क्षेत्र में एक बार फिर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का जादू जमकर चला है। राव ने इस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशियों को जितवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था। यह बात भी प्रमाणित हो रही है कि राज्य सरकार के गठन का रास्ता अहीरवाल से होकर गुजरता है। इस क्षेत्र के सियासी इतिहास को देखें तो जब भी दक्षिणी हरियाणा ने जिस पार्टी का साथ दिया, उसी की राज्य में सरकार बनी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के दौरों ने अहीरवाल के चुनाव परिणामों को अपने पक्ष में लाने में अहम भूमिका निभाई। साफ संकेत मिल रहे हैं कि मोदी व उनकी नीतियों के प्रति जनता का अभी तक मोह भंग नहीं हुआ है।

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मंगलवार की सुबह जब मतगणना शुरू हुई और शुरूआती रुझान आने लगे तो कांग्रेस तेज़ी से आगे बढ़ती दिखाई दी। कांग्रेस की बढ़त को देखकर दक्षिणी हरियाणा के भाजपा नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी थी।

ऐसा इसलिये क्योंकि अहीरवाल की सफलता से राव इंद्रजीत सिंह की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई थी। लेकिन जैसे-जैसे गिनती के राउंड आगे बढ़े, बाज़ी पलटती चली गई।

रेवाड़ी में ऐसे मारी बाज़ी

सफल रहा लक्ष्मण सिंह पर किया प्रयोग

जिला रेवाड़ी की तीन विधानसभा सीटों रेवाड़ी, बावल व कोसली की बात करें तो तीनों सीटों पर राव इंद्रजीत ने अपने पसंदीदा प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इनकी हार-जीत का श्रेय राव के खाते में ही जाना था। राव ने कोसली के निवर्तमान विधायक लक्ष्मण सिंह को रेवाड़ी शिफ्ट करके कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री कै. अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव राव के सामने मैदान में उतारा। वर्ष 2019 में चिरंजीव राव भाजपा को मात देकर त्रिकोणीय मुकाबले में 1300 वोटों से जीते थे। इस बार कांग्रेस की लहर मानकर चिरंजीव राव अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे। उनके पिता कै. अजय ने पूरे क्षेत्र में पसीना बहाया था। लेकिन राव इंद्रजीत का लक्ष्मण को कोसली से रेवाड़ी लाने का निर्णय सटीक साबित हुआ।

लक्ष्मण सिंह दूसरी बार विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे। यहां लक्ष्मण सिंह की जीत में भाजपा के बागी व आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सतीश यादव का अहम रोल रहा। वहीं एक और बागी प्रशांत यादव सन्नी ने उनकी जीत को आसान बनाया।

बावल सीट का हाल: रिजर्व सीट बावल में राव इंद्रजीत ने अपने पुराने साथी व दो बार विधायक व मंत्री रहे डॉ. बनवारी लाल का टिकट कटवाकर एकदम नये चेहरे डॉ. कृष्ण कुमार को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। शुरू में कांग्रेस के प्रत्याशी व पूर्व मंत्री डॉ. एमएल रंगा को बहुत मजबूत व डॉ. कृष्ण को कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था। इसका कारण यह भी था कि बावल के 84 गांवों के 35 हजार जाट व 42 हजार दलित मतदाताओं को कांग्रेस अपना मानकर चल रही थी लेकिन राव ने इस हलके में ताबड़तोड़ सभाएं कर इन दोनों वोट बैंक में जबरदस्त सेंध लगाई। नतीजतन यहां भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगा डाली।

रामपुरा हाउस में मना जश्न, बजे ढोल बाजे

सांसद राव इंद्रजीत सिंह के रामपुरा स्थित निवास में सुबह से कार्यकर्ताओं का जमावड़ा शुरू हो गया था। कड़े मुकाबले में जैसे ही राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री आरती राव की अटेली विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज हुई, वैसे ही कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। ढोल की थाप पर कार्यकर्ता झूमते दिखाई दिये। इस मौके पर राव इंद्रजीत व आरती मौजूद थे। वे भी कार्यकर्ताओं के साथ जश्न में शामिल हुए। सुबह से ही कार्यकर्ता आरती की जीत को लेकर टीवी पर नजरें गड़ाये हुए थे। अंतिम दौर की मतगणना में आरती विजयी घोषित हुई तो वे झूम उठे।

मेवात में नहीं लगी सेंध

l राव इंद्रजीत सिंह के गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र की मेवात, रेवाड़ी व गुरुग्राम जिले की 9 सीटों में से भाजपा के 6 प्रत्याशी विजयी रहे। जबकि रेवाड़ी जिले के रोहतक लोकसभा क्षेत्र में आने वाले कोसली हलका में राव इंद्रजीत सिंह के प्रत्याशी की जीत दर्ज हुई। मेवात जिले की मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा इस बार भी सेंध नहीं लगा पायी। इधर अहीरवाल के महेन्द्रगढ़ जिले में चार में से तीन सीटें अटेली, नारनौल व महेन्द्रगढ़ भाजपा के खाते में गई। जबकि नांगल चौधरी से कांग्रेस ने जीत दर्ज की।

कोसली में चौंकाया

जिले की तीसरी अहम सीट कोसली में राव इंद्रजीत ने मजबूत दावेदारों की टिकट कटवाकर एकदम नये चेहरे अनिल यादव डहीना को मैदान में उतारकर सभी को चौंका दिया था। उनके सामने कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी व पूर्व मंत्री जगदीश यादव उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे थे। जगदीश भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें रामपुरा हाउस व राव इंद्रजीत सिंह का विरोधी भी माना जाता है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने इस बार 2 बार के विधायक रहे व राव इन्द्रजीत सिंह के छोटे भाई राव यादुवेन्द्र सिंह की टिकट काटकर जगदीश को आगे किया था। लेकिन  राजनीति के नये खिलाड़ी अनिल ने उन्हें चित्त कर दिया।

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