चंडीगढ़, 16 अगस्त (ट्रिन्यू)
गर्मियों की छुट्टियों के अलावा शादी-समारोह व दूसरे आयोजनों में जिस गांव की गलियों में नीरज चोपड़ा का बचपन बीता, अब वहीं गांव अपने नाती के इंतजार में पलक-पावड़े बिछाए हुए है। पानीपत जिला के कुराना गांव के लोग बेसब्री से अपने लाल का इंतजार कर रहे हैं। गांव के लोगों ने नीरज चोपड़ा के भव्य स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी हैं। गांव की एंट्री से लेकर अंदर तक पूरे गांव को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। नीरज चोपड़ा का 20 अगस्त को कुराना गांव में अभिनंदन किया जाएगा। मूल रूप से कुराना के ही रहने वाले उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार अग्रवाल भी सम्मान समारोह में भाग लेंगे। कई अधिकारी, सामाजिक व धार्मिक संगठनों के लोग भी कुराना पहुंच कर नीरज का स्वागत करेंगे। भारतीय सेना में नायब सूबेदार नीरज चोपड़ा का आर्मी में भी भव्य स्वागत हो चुका है। डीजीपी अशोक अग्रवाल का कहना है कि उनकी नीरज से फोन पर बात हो चुकी है और नीरज 20 अगस्त के सम्मान समारोह में कुराना गांव में पहुंचेंगे। अग्रवाल ने कहा कि नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल कर, गांव व प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। नीरज मूल रूप से पानीपत के ही खंडरा गांव के रहने वाले हैं। 24 दिसंबर, 1997 को जन्मे नीरज ने टोक्यो ओलंपिक में 87.58 मीटर जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) के साथ भारत की झोली में गोल्ड डाला।
गांव के लोग कहते थे ‘सरपंच’
ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा को गांव के लोग ‘सरपंच’ कहकर बुलाते रहे। दरअसल भारी-भरकम शरीर के अलावा नीरज कुर्ता-पायजामा पहनते थे। ऐसे में उनकी छवि नेताओं जैसी नज़र आती थी। इसके बाद नीरज ने फिटनेस पर जोर दिया और पानीपत स्टेडियम में प्रेक्टिस शुरू की। यही पर उन्होंने पहली बार जैवलिन-थ्रो में हाथ आजमाया। 11 वर्ष की उम्र में नीरज ने पानीपत स्टेडियम में जय चौधरी को जैवलिन थ्रो की प्रेक्टिस करते देखा था।