कुरुक्षेत्र, 1 अप्रैल (हप्र)
मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के आह्वान पर जन संघर्ष मंच हरियाणा की कुरुक्षेत्र इकाई के कार्यकर्ताओं ने आज लेबर चौक कुरुक्षेत्र (नजदीक गुरुद्वारा छठी पातशाही) पर मजदूरों के अधिकारों को लगभग समाप्त करने वाले चारों लेबर कोड के खिलाफ प्रदर्शन किया व प्रतियां जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। मंच के जिला प्रधान संसार चन्द्र, उपाध्यक्ष ऊषा कुमारी, मनरेगा मजदूर यूनियन के जिला सचिव मेवा राम ने प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने मजदूर वर्ग को कमजोर करने के लिए व मालिकों को मालामाल करने के लिए कोरोना महामारी के समय ये कोड जबरदस्ती पास किये हैं।
उन्होंने सरकार की निन्दा करते हुए कहा कि तमाम ट्रेड यूनियनों, जनसंगठनों के कड़े विरोध के बावजूद मोदी सरकार इन मजदूर विरोधी लेबर कोड को 1 अप्रैल, 2021 से सारे देश में लागू कर रही है।
इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020 में सरकार ने मालिकों को इतनी छूट दे दी है कि 300 मजदूरों तक के संस्थान, फैक्ट्रियों के मालिक भी मजदूरों को बिना सरकारी परमिशन के नौकरी से बाहर निकाल सकेंगे, जबकि पहले यह संख्या एक सौ मजदूरों तक थी। कंपनियां श्रमिकों के लिए मनमानी शर्तें बनाएंगी, इससे मालिकों को मजदूरों को नौकरी पर रखने व निकालने की मनमानी छूट मिल जाएगी। अब मजदूरों को अपनी मांगों के लिए हड़ताल करने से पहले मालिकों को 60 दिन का नोटिस अनिवार्य कर दिया गया है, कोड में फिक्स्ड टर्म रोजगार का भी प्रावधान है, जिसमें मजदूरों को स्थायी नौकरी, रोजगार की सुरक्षा व मौलिक सुविधाएं जैसे पीएफ ईएसआई पेंशन आदि मजदूरों के सभी अधिकार ध्वस्त हो जाएंगे। मंच नेताओं ने
मजदूरों, गरीबों, किसानों, बेरोजगारों, महिलाओं को आह्वान किया कि वे इन लेबर कोड व काले कृषि कानूनों का डटकर विरोध करने के लिए सतत आन्दोलन गठित करने में अपना अहम रोल अदा करने के लिए आगे आयें। इस मौके पर काफी संख्या में मजदूर व मंच के साथी कुलदीप जयप्रकाश, सतीश, मनदीप कौर, पूजा, नेहा, सरोज रिटायर्ड सुपरवाइजर संतोष कुमारी आदि उपस्थित रहे।
सीटू ने फूंकी मजदूर विरोधी लेबर कोड की प्रतियां
कुरुक्षेत्र (हप्र) : ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आज सीटू ने अपने जिला कार्यालय बीड़ पीपली के सामने मजदूर विरोधी लेबर कोड की प्रतियां फूंकी। सीटू नेता भीम सिंह सैनी ने कहा कि भाजपा सरकार ने कोरोना का बहाना बनाकर तानाशाही रुख अपनाते हुए श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर कर्मचारी विरोधी चार कोड मे बदल दिए व इसी दौरान तीन कृषि कानून बनाकर मजदूर-किसान को कोरपोरेट घरानों के गुलाम बनाने की साजिश रची जा रही है।