चंडीगढ़, 21 अप्रैल (ट्रिन्यू)
हरियाणा के खेल स्टेडियमों में मार्निंग-ईवनिंग वॉक के लिए अब जेब ढीली करनी होगी। खेल मैदानों में सैर-सपाटा करने वालों की एंट्री बंद कर दी गयी है। अगर उन्हें फिर भी आना है तो इसके लिए 1000 रुपये मासिक फीस देनी होगी। यह फीस भी केवल घूमने-फिरने के लिए होगी। स्टेडियम की खेल सुविधाओं का इस्तेमाल करने का अधिकार फिर भी नहीं मिलेगा।
कोच की एंट्री फ्री रहेगी और उनके अंडर ट्रेनिंग ले रहे खिलाड़ियों को भी बिना फीस के ही खेल मैदान में आने-जाने की छूट रहेगी। जो खिलाड़ी किसी कोच के अंडर नहीं है और नियमित प्रेक्टिस करने के लिए आते हैं, उन्हें 100 रुपये मासिक की फीस देनी होगी। इसी तरह से खेल फेडरेशन, क्लब, संस्थाओं आदि को अगर किसी भी तरह के खेल मुकाबले, टूर्नामेंट व चैम्पियनशिप करवानी है तो इसके लिए उन्हें फीस देनी होगी।
पिछले दिनों खेल मंत्री संदीप सिंह की अध्यक्षता में हुई विभाग की बैठक में यह निर्णय लिया गया। खेल एवं युवा मामले विभाग के निदेशक पंकज नैन का कहना है कि खिलाड़ियों के लिए 100 रुपये की मामूली फीस इसीलिए रखी है ताकि उन्हें अहसास रहे कि वे खेलने के लिए मैदान में आ रहे हैं। विपक्षी दलों–कांग्रेस व इनेलो ने खेल मैदानों में फीस लगाने का विरोध शुरू कर दिया है।
जियो मैपिंग के बाद होगा सुविधाओं का विस्तार
हरियाणा में कुल 3 स्टेट लेवल के स्टेडियम, 21 जिला स्तरीय स्टेडियम, 12 सब-डिवीजन स्टेडियम, 163 राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर हैं। विभाग ने खेल मैदानों की जियो-मैपिंग प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। जियो-मैपिंग के बाद ही अब खेल सुविधाओं का विस्तार होगा। स्टेट स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स का इस्तेमाल करने के लिए अब एक से लेकर ढाई लाख रुपये तक प्रतिदिन की फीस देनी होगी। इसी तरह से जिला खेल स्टेडियम के लिए 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की प्रतिदिन की फीस तय हुई है। उपमंडल के खेल मैदानों का इस्तेमाल करने के लिए रोजाना 75 हजार रुपये देने होंगे। राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर में अगर किसी तरह के मुकाबले करवाने हैं तो रोजाना 50 हजार रुपये देने होंगे। इसी तरह से गांवों में स्थित मिनी/ग्रामीण खेल स्टेडियम के लिए 20 हजार रुपये की फीस तय की है। क्रिकेट ग्राउंड के लिए 20 से लेकर 40 हजार रुपये, स्विमिंग पुल के लिए 20 से 50 हजार रुपये तथा मल्टीपर्पज हॉल का इस्तेमाल करने के लिए रोजाना 30 से 1 लाख रुपये तक चुकाने होंगे।
विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
* खिलाड़ियों को स्टेडियम में फीस तय करना जजिया टैक्स जैसा है। खिलाड़ियों के प्रति गठबंधन सरकार का रवैया नकारात्मक है। सरकार नहीं चाहती कि खेलों में जो वर्चस्व हरियाणा के खिलाड़ियों का है वह बरकरार रहे। सरकार लगातार खिलाड़ियों के प्रति बेरुखी अपनाए हुए है।
-अभय सिंह चौटाला, इनेलो प्रधान महासचिव
* कांग्रेस कार्यकाल में हमने प्रदेश को खेलों का हब बनाया था। दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब सरकार इन्हीं स्टेडियमों को वसूली का अड्डा बनाने जा रही है। खेल परिसरों में बड़ी तादाद में युवा खेलने, खेल प्रतियोगिताओं, आर्मी व पुलिस भर्ती की तैयारी करने जाते हैं। आम आदमी यहां वर्जिश कर स्वास्थ्य लाभ लेने जाता है। यह कोई पब, क्लब, बार या डिस्को नहीं है जहां सरकार टैक्स लगाना चाहती है। कांग्रेस हर स्तर पर इस फैसले का विरोध करेगी।
-भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री
* गठबंधन सरकार हर स्तर पर लूट नीति पर उतारू हो गई है। सरकार ने लूट नीति की नई योजना के तहत प्रदेश के खेल स्टेडियमों में सैर करने वाले लोगों और अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों से वसूली का तुगलकी फरमान जारी किया है। सरकार अपने इस तुगलकी आदेश को तुरंत वापस ले। सरकार का घूमने के नाम पर प्रदेशवासियों से शुल्क लेना अत्यंत निंदनीय है।
-कुमारी सैलजा, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष