चंडीगढ़, 14 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा में पिछले तीन साल में पौने 3 लाख से अधिक बुजुर्गों की पेंशन रोकी या फिर काटी गई है। 2019 से अभी तक की पेंशन का आंकड़ा सरकार ने डबवाली से कांग्रेस विधायक अमित सिहाग के सवाल पर सदन में पेश किया। पेंशन कटौती या रोकने का यह मामला सरकार द्वारा शुरू किए गए परिवार पहचान-पत्र (पीपीपी) की शुरुआत के बाद ही हुआ है। पीपीपी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने वालों लोगों ने अपनी आय भी इसमें दर्शाई है, जिसक वजह से उनकी पेंशन रुकी या कटी है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव ने अपने लिखित जवाब में पहली जनवरी, 2019 से लेकर 28 फरवरी, 2022 तक का आंकड़ा बताया है। कुल 2 लाख 77 हजार 676 लोगों की पेंशन रोकी या काटी गई है। यहां बता दें कि प्रदेश में 60 साल की उम्र के बाद बुजुर्गों को वृद्धावस्था सम्मान पेंशन के रूप में 2500 रुपए पेंशन मिलती है। उन्हीं बुजुर्गों को पेंशन मिलती है, जिनकी सालाना आय 2 लाख रुपए से कम है। हालांकि पीपीपी पर रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार ने केवल उन्हीं बुजुर्गों की पेंशन रोकी है, जिनकी सालाना आय साढ़े 3 लाख रुपए तक है। इसमें राहत भी सरकार ने इसीलिए दी है क्योंकि सरकार सालाना आय के मापदंड में बदलाव करने जा रही है। पेंशन के लिए तय आय की सीमा को दो लाख से बढ़ाकर 3 या साढ़े तीन लाख तक किया जा सकता है। हालांकि विपक्षी दलों द्वारा विधानसभा में यह मुद्दा भी उठाया जा रहा है कि सरकार 60 से अधिक के सभी बुजुर्गों को पेंशन दे। इसमें सालाना आय की किसी तरह की शर्त नहीं होनी चाहिए।
60 से 100 प्रतिशत दिव्यांगों को पेंशन
पूर्व शिक्षा मंत्री व झज्जर विधायक गीता भुक्कल के सवाल पर राज्य मंत्री यादव ने बताया कि 18 से 60 वर्ष आयु वर्ग के उन दिव्यांगों को 2500 रुपए मासिक पेंशन दी जा रही है, जो 60 से 100 प्रतिशत तक दिव्यांग हैं। वहीं स्कूल न जा सकने वाले 0-18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को 1900 रुपए की आर्थिक मदद सरकार हर साल कर रही है।