गोहाना, 16 जनवरी (निस)
राज्य सरकार ने सात साल पहले व्यवस्था सुधार की दिशा में पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की थी। इस योग्यता से 2016 में कई लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने के सपने चकनाचूर हो गए थे। खुद के सपने पूरे न होने पर कुछ लोगों ने परिवार की चौधर के लिए अपने बेटे, पत्नी, बेटी और पुत्रवधू को चुनाव लड़ाया। गांव बरोदा के आजाद सिंह मोर का खुद पंचायत का चुनाव लड़ने का सपना है, जिसके लिए उन्होंने 69 साल की उम्र में दसवीं कक्षा पास की। उन्हें करीब 76 प्रतिशत अंक मिले हैं।
गांव बरोदा में बरोदा मोर और बरोदा खासा पंचायतें हैं। आजाद सिंह मोर 2016 में बरोदा मोर से सरपंच का चुनाव लड़ना चाहते थे। चुनाव से एक साल पहले ही राज्य सरकार ने उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित कर दी थी। सामान्य वर्ग के सरपंच पद के लिए दसवीं कक्षा निर्धारित की गई। एक जनवरी, 1952 में जन्मे आजाद सिंह केवल तीसरी कक्षा पास थे। कम पढ़े लिखे होने के चलते उनका चुनाव लड़ने का सपना पूरा नहीं हो पाया।
उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए बुढ़ापे में पढ़ना शुरू किया। 2021 में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान से दसवीं कक्षा के लिए आवेदन किया। कोरोना महामारी के चलते परीक्षा नहीं हो पाई। बोर्ड ने असेसमेंट के आधार पर सभी परीक्षार्थियों को पास किया। उन्होंने 70 साल की उम्र में करीब 76 प्रतिशत अंक के साथ दसवीं की। अब वे पंचायत चुनाव में ताल ठोक सकेंगे।