25 हजार से ज्यादा बसों की जांच, 5200 के काटे चालान
बगैर पूरे कागजात के चल रही बसें
आरोप हैं कि बड़ी संख्या में बसें बिना फिटनेस, बिना जीपीएस, बिना फायर एक्सटिंग्विशर और कई मामलों में बिना प्रशिक्षित ड्राइवरों के बच्चों को लेकर चल रही हैं। पुलिस द्वारा 3 नवंबर से 10 नवंबर के बीच चलाई गई विशेष चेकिंग में 5,516 बसों की जांच हुई और 1,003 बसों का चालान किया गया। इसी दौरान चार बसों (सिरसा में 3 और डबवाली में एक) को मौके पर ही जब्त किया गया। इससे पहले जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच जांची गईं 19,268 बसों में से 4,205 बसों का उल्लंघन मामले में चालान हो चुका है।
बस संचालन नियमों के तहत स्कूलों की बसों का डेटा अपडेट रखने और समय-समय पर दस्तावेजों का सत्यापन करने का पहले से ही सिस्टम बना हुआ है। पुलिस के हालिया अभियान के दौरान गुरुग्राम, पंचकूला, सोनीपत, सिरसा, जींद, फरीदाबाद व पलवलव में सबसे अधिक अनियमितताएं पाईं। अकेले गुरुग्राम में जनवरी से अक्तूबर के बीच हुई चैकिंग में 5 हजार 984 बसों में से 1851 बसें नियमों को तोड़ती हुई मिलीं।
हालांकि बाकी जिलों में भी स्थिति अच्छी नहीं है। इस अवधि में सबसे कम उल्लंघन के मामलों की बात करें तो रेवाड़ी में 2, डबवाली में 9 तथा चरखी दादरी में 6 बसों के चालान हुए। सिरसा और डबवाली में तो हालात इतने खराब निकले कि पुलिस ने मौके पर ही चार बसें इम्पाउंड कर दीं। कई बसें ऐसी थीं जिनमें न तो सुरक्षा उपकरण लगे थे और न ही वह बच्चों की स्कूल बसों के लिए तय किए गए राष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरती थीं।
डीजीपी ने दिए सख्त आदेश
हरियाणा पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हेंडल पर एक पोस्ट जारी की, जिसने इस कार्रवाई को और ज्यादा गंभीर रूप दे दिया। पोस्ट में उन्होंने साफ लिखा कि जो बसें सुरक्षित नहीं हैं उन्हें इम्पाउंड करें। उनकी यह पोस्ट अब बातचीत नहीं, बल्कि ‘डायरेक्ट वार्निंग’ की तरह सामने आई है। स्कूलों, बस ऑपरेटरों और प्रशासनिक स्तर पर इसे एक सख्त संकेत माना जा रहा है।
क्या-क्या होना जरूरी है एक स्कूल बस में
नियमों के अनुसार, हर स्कूल बस में होना चाहिए:
- -वैध फिटनेस सर्टिफिकेट
- -जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम
- -फायर एक्सटिंग्विशर
- -फर्स्ट-एड बॉक्स
- -कैमरा (जहां लागू हो)
- -आपातकालीन निकास
- -प्रशिक्षित चालक और परिचालक
- -सीट बेल्ट और निर्धारित स्कूल पहचान मार्किंग
