अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 26 सितंबर
वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद फिर से 709 ई हाईवे के निर्माण की फाइल से धूल हटाई गई और एनएचएआई ने खरड़ी मोड़ से लेकर भिवानी जिले के गांव, जोकि अब चरखी दादरी में है, आदमपुर डाढ़ी तक फोरलेन को मंजूरी दी। यह कार्य दो हिस्सों में बांटा गया, जिसका एक हिस्सा लगभग 30 किलोमीटर खरड़ी मोड़ से गांव हालुवास तक जबकि दूसरा हिस्सा गांव हालुवास से आदमपुर डाढी तक बनाने का टेंडर छोड़ा गया। पूरा कार्य 250 करोड़ रुपए से अधिक का था और इसी में ही भिवानी के गांव निनान से हालुवास तक का लगभग 8 किलोमीटर का बाइपास भी शामिल है। यह कार्य वर्ष 2015 में शुरू भी हो गया, लेकिन बाइपास के निर्माण का काम पूरा नहीं हो पाया।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के कार्यकारी अभियंता राहुल चहल का कहना है कि बाइपास में देरी का मुख्य कारण गांव ढाणा के समीप रेलवे लाइन पर बनने वाले आरओबी के लिए रेलवे की आवश्यक मंजूरी मिलने में अनावश्यक देरी है। विभाग द्वारा कई बार रेलवे के साथ पत्राचार भी किया गया। अब जाकर रेलवे से मंजूरी मिली है और बाइपास पर आरओबी का कार्य 31 दिसंबर से पहले पूरा लिया जाएगा।
बाइपास का हिस्सा छोड़ा
दो वर्ष पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग के बाइपास को छोड़कर बाकी हिस्सा पूरा कर लिया गया, लेकिन जो बाइपास भिवानी वालों के लिए जरूरी था, वह आज तक पूरा नहीं हो पाया। बाइपास में हो रही देरी का मामला भिवानी के सांसद धर्मबीर सिंह ने गत वर्ष संसद में उठाया तब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कहा कि 31 मार्च 2021 तक इस बाइपास को पूरा कर दिया जाएगा।
ये भी है परेशानी
बाइपास न बनने से दिल्ली से राजस्थान जाने वाला सारा ट्रैफिक भिवानी के व्यस्त चौक रोहतक गेट, बावड़ी गेट, दादरी गेट, हनुमान गेट व देवसर चुंगी होकर गुजरता है। यहां तक कि रात दिन 20 से 30 टायर वाले ट्राले भी यहीं से गुजरते हैं। जिससे रोड तहस-नहस हो चुका है। वर्तमान में देवसर चुंगी के जिस आरओबी से बड़े वाहन गुजरते हैं उस आरओबी की भी हालत अत्यधिक खस्ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इसकी जगह नया आरओबी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर रखी है, लेकिन जब तक निनान से गुजरने वाला बाइपास शुरू नहीं होता, तब तक पुराना आरओबी भी नहीं तोड़ा जा सकता। ऐसे में वाहन चालक अपनी जान हथेली पर लेकर इस पुराने आरओबी से गुजर रहे हैं।
शहर में जाम ही जाम
बाइपास न होने से दिल्ली से वाया लोहारू, राजस्थान जाने वाला ट्रैफिक भिवानी से होकर गुजरता है। जिस कारण भिवानी के बस अड्डे से लेकर लोहारू आरओबी तक रोड पर भयंकर जाम लगा रहता है। शहर के बीच से बड़े वाहनों के जाने से रोड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और आए दिन हादसे होते रहते हैं।
जल्द समस्या हल होगी
भिवानी के भाजपा सांसद धर्मबीर का कहना है कि बाइपास में हो रही देरी का मामला संसद में उठाया था। इस बारे केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी पत्र लिखा था, जिनके हस्तक्षेप के बाद अब कार्य में तेजी आई है। उम्मीद है कि जल्द ही दिल्ली से भिवानी होकर राजस्थान जाने वालों और भिवानी के लोगों को जाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
भिवानी की बदहाल सड़कें
पिछले 6 साल से भिवानी में दिल्ली को राजस्थान से जोड़ने वाले 709 ई मार्ग पर बाइपास का निर्माण चल रहा है, लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हो पाया। इस कारण रोजाना भिवानी के लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है। बाइपास का निर्माण नहीं होने की वजह से नेशनल हाईवे का पूरा ट्रैफिक भिवानी शहर के बीचोंबीच से गुजरता है। यहां 20 से 30 टायर वाले ट्राले गुजरते हैं, जिन्होंने रोड को पूरी से तहस-नहस कर दिया है। यहां रोजाना हादसे हो रहे हैं, लेकिन श्ाहरवासियों का कोई दर्द सुनने वाला नहीं है। शहर के बीचोंबीच से बड़े वाहनों के गुजरने के कारण शहर की सड़कों पर कमरतोड़ गड्ढे हो गए हैं। बता दें कि 12 वर्ष पहले बाइपास की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी डाली गई थी। बाइपास का मुद्दा संसद में उठने के बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 31 मार्च 2021 तक इसे पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी निर्माण पूरा नहीं हो सका है। शहर की सड़कों पर बने बेशुमार गड्ढे वाहन चालकों को दर्द दे रहे हैं।

शहरवासियों को मिल रहा दर्द
कई बार गड्ढों में पानी भरा होने पर यह पता ही नहीं चलता है कि गड्ढा कितना गहरा है, जब वाहन उसमें उतरता है तो जोरदार झटका लगता है। ऐसे में वाहन चालकों को रीढ की हड्डी समेत कमर दर्द, गर्दन दर्द, जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव समेत अन्य परेशानियां होना शुरू हो गई हैं। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों के साथ फिजियोथैरेपी सेंटर तक इन परेशानियों के मरीज बढ़ रहे हैं। इसी के चलते शहर के अस्पतालों में ओपीडी भी बढ़ गई है। शहर में क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर राजेश का कहना है कि शरीर रीढ़ की हड्डी पर ही टिका होता है। बार-बार झटके लगने से रीढ़ की हड्डी कमजोर होने का खतरा रहता है। इसके कमजोर होने पर बैक पेन, स्लिप डिस्क, गर्दन में दर्द, कलाई में दर्द, जोड़ों का दर्द के साथ ही हडि्डयों से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं। यही नहीं, रीढ़ की हड्डी कमजोर होने पर पूरे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। फिजियोथैरेपिस्ट डा. साक्षी सिंगला का कहना है कि गड्ढों की वजह से गाड़ी चला रहे वाहन चालक को झटका लगता है और दर्द शुरू हो जाता है। बार-बार झटका लगना शरीर के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

वाहन हो रहे खराब
खराब सड़कों का खमियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा है। खासतौर पर चारपहिया वाहन चालकों को। गड्ढों में गाड़ी चलने से इंजन के चेंबर से लेकर सस्पेंशन और साइलेंसर तक किसी न किसी रूप में डैमेज हो रहे हैं। शहर में सर्विस सेंटर चला रहे संचालकों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 709 ई पर रोड खराब होने का सीधा असर गाड़ियों की मेंटेनेंस पर पड़ रहा है। गड्ढों की वजह से गाड़ियों में हो रही टूट फूट को ठीक कराने में वाहन चालकों को 20 से 25 हजार रुपए अदा करन पड़ रहे हैं।
जिम्मेदार कौन
भिवानी के लोगों का कहना है कि पिछले 5 साल से बाइपास बनने का काम चल रहा है। इसकी समयसीमा भी समाप्त हो चुकी है, लेकिन अभी तक शहरवासी जाम का दंश झेल रहे हैं। नेशनल हाईवे अथॉरिटी निर्माण पूरा न होने का कारण रेलवे द्वारा मंजूरी नहीं दिया जाना बता रही है। ऐसे में दो विभागों की गलती की सजा भिवानी के लाखों लोगों को भुगतनी पड़ रही है। शहर की सामाजिक संस्थाओं ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि बाइपास का निर्माण जल्द कराए जाए और निर्माण में देरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
जल्द हो समाधान
बाइपास को लेकर वर्ष 2009 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका डालने वाले कैप्टन पवन अंचल का कहा है कि वर्ष हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने भिवानी प्रशासन की ओर से यह माना कि बाइपास की अत्यधिक जरूरत है और इसे जल्द बनाया जाएगा। हाईकोर्ट में बाइपास बनाने की बात मानने वाले प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया था। उन्होंने कहा कि भिवानी के लोगों की समस्या को देखते हुए रेलवे और नेशनल हाईवे अथॉरिटी को जल्द ही इस बाइपास का निर्माण करना चाहिए, ताकि भिवानी के लोगों को जाम से निजात मिल सके।