हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 9 मई
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकार योजनाएं बनाती रही है। कुछ लागू भी हुई हैं। 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को सरकार की ओर से टैबलेट देकर हाईटेक बनाया जा रहा है। लेकिन यह काफी नहीं है। बुनियादी स्तर पर अभी भी शिक्षा के सुधार की डोर ढीली नजर आती है। गांवों के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों का टोटा है। हाल यह है कि सोनीपत जिले के कई प्राइमरी स्कूलों में औसतन 100 विद्यार्थियों पर एक ही शिक्षक है। यानी स्िथति एक गुरु बटा सौ छात्रों की है। कई जगह एक ही शिक्षक पूरे स्कूल को संभाल रहा है। भिगान के राजकीय कन्या प्राइमरी स्कूल में 120 विद्यार्थियों को एक ही शिक्षक पढ़ा रहा है। गांव रामनगर के स्कूल का हाल इससे भी बुरा है। यहां 114 बच्चों का जिम्मा एक शिक्षक पर है। भिगान के ही दूसरे स्कूल में एक शिक्षक 91 विद्यार्थियों को पढ़ा रहा है। शेखपुरा गांव में दो शिक्षक 122 बच्चों के भविष्य को संवारने में जुटे हैं। भाजपा सांसद रमेश कौशिक के गांव में प्राइमरी स्कूल का जिम्मा एक गेस्ट टीचर पर है। राजकीय प्राइमरी गढ़ी कलां में 101 बच्चों पर 3, पुरखास राठी में 164 बच्चों तथा राजकीय प्राइमरी स्कूल पांची गुजरान में 126 बच्चों पर 4-4 शिक्षक कार्यरत हैं। ये सरकारी प्राइमरी स्कूल गरीब अभिभावकों और उनके बच्चों के लिए बड़ा सहारा हैं, लेकिन इन स्कूलों में वर्षों से शिक्षकों की भारी कमी उनकी पढ़ाई में रोड़ा बनी हुई है। ज्यादा फीस के चलते गरीब अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की सोच भी नहीं सकते।
बिना शिक्षकों के इन सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई के हालात का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
भविष्य लग रहा है ग्रहण : प्रदेश के प्रमुख कोचिंग सेंटर आईसीएस के चेयरमैन परिमल कुमार का मानना है कि स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी नौनिहालों के भविष्य पर ग्रहण लगा रही है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो ग्रामीणों क्षेत्रों में बच्चे शुरुआती पढ़ाई में पिछड़ जाएंगे। आगे चलकर ऐसे बच्चों को बहुत मुश्किलें आती हैं।
गन्नौर के ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी सुरजीत ने कहा कि प्रदेश में जब से ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी लागू हुई है कई स्कूलों में शिक्षक व बच्चों की संख्या के अनुपात में अंतर देखने को मिल रहा है। हम चाहकर भी किसी दूसरे स्कूल से शिक्षक को वहां भेजकर स्टाफ की कमी दूर नहीं सकते। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक किसी के पास तबादले का अधिकार नहीं है। हम बैठकों में शिक्षकों की कमी को लेकर आला अधिकारियों को अवगत कराते रहते हैं। साथ ही मुख्यालय के साथ पत्र-व्यवहार भी चलता रहता है।
…तो दूसरे स्कूल से आता है शिक्षक
सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि एक शिक्षक अकेला पहली से लेकर 5वीं तक की कक्षा के 100 से अधिक बच्चों को कैसे और क्या पढ़ाता होगा? इकलौते शिक्षक के छुट्टी पर जाने के बाद विभाग की परेशानी और अधिक बढ़ जाती है। इन परिस्थितियों में अस्थाई तौर पर किसी दूसरे स्कूल से शिक्षक को भेजा जाता है। उसे कई दिन तो स्कूल की व्यवस्था ही समझ में नहीं आती और जब आती है तो वह अपने स्कूल वापस लौट जाता है।
” शिक्षकों की एडजस्टमेंट के लिए डायरेक्टर की ओर से लेटर आना है। बाकी आप इस बारे में पंचकूला स्थित मुख्यालय में बात कर लीजिए। मैं इस मामले में
और कुछ नहीं कह सकता। ”
– बिजेंद्र नरवाल, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, सोनीपत