चंडीगढ़, 4 जनवरी (ट्रिन्यू)
कोरोना महामारी की वजह से हरियाणा पर पड़ी वित्तीय मार के बीच एक अच्छी खबर यह भी है कि बच्चों का सरकारी स्कूलों की ओर रुझान बढ़ा है। कोरोना काल के बाद अब तक डेढ़ लाख के लगभग बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवा कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। इनमें सबसे अधिक संख्या 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों की है। यानी 10वीं प्राइवेट स्कूल से करने के बाद 11वीं में दाखिला लेने के लिए विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों का रुख किया है। प्राइवेट स्कूलों में लगातार बढ़ रही फीस की वजह से इन विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा मुख्यालय भेजी गई रिपोर्ट में यह संख्या बढ़ने का खुलासा हुआ है। शिक्षा विभाग इससे काफी उत्साहित है और केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत राज्य में रणनीति बनाने पर काम शुरू हो गया है। इसी के आधार पर आगामी शैक्षणिक सत्र की पढ़ाई कराई जाएगी। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए 23 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ था। जून में कोरोना केस बढ़े तो स्कूली विद्यार्थियों को घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करवाई गई। इसके बाद निजी स्कूलों ने फीस वसूलनी शुरू कर दी। इसे लेकर अभिभावकों तथा निजी स्कूल संचालकों के बीच विवाद शुरू हो गया। इसी के चलते प्रदेश में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने सरकारी स्कूलों का रूख करना शुरू कर दिया। निजी स्कूलों ने जब एसएलसी नहीं दिया तो सरकार ने बगैर एसएलसी के ही दाखिले शुरू कर दिए।
मुख्यालय पहुंची 31 दिसंबर तक की रिपोर्ट के हिसाब से 1 लाख 46 हजार 60 विद्यार्थी नए दाखिल हुए हैं। ये सभी बच्चे निजी स्कूलों से आए हैं। कोरोना काल के दौरान 90 हजार 254 लड़के तथा 55 हजार 806 लड़कियों ने निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। शिक्षा निदेशालय की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक 35 हजार 598 विद्यार्थी 11वीं कक्षा में दाखिल हुए हैं। वहीं 14 हजार 658 नौवीं तो 14 हजार 248 छठी कक्षा में आए हैं।
शिक्षा विभाग का मानना है कि यह पिछले वर्षों की तुलना में आठ फीसदी अधिक है। शिक्षा विभाग का अनुमान है कि राज्य में 136 नए राजकीय संस्कृति मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना तथा नई शिक्षा नीति के लागू होने से अगले सत्र के दौरान सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकारी स्कूलों द्वारा नए शिक्षा सत्र की तैयारी की जाएगी।
निजी स्कूलों ने अभिभावकों पर डाला बोझ
शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के दौरान प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों का सारा कार्य अभिभावकों को करना पड़ा। इसके अलावा निजी स्कूल संचालकों ने माता-पिता पर फीस के लिए भी दबाव बनाया। वहीं सरकारी विद्यालयों के लिए यह मोर्चा खुद विभाग और अध्यापकों ने संभाला। शिक्षा विभाग द्वारा एजुसेट व टीवी के माध्यम से घर बैठे बच्चों को बगैर कोई बोझ डाले पढ़ाया गया। जिसके परिणाम स्वरूप सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी बढ़े हैं।
“हमारे लिए यह अच्छी खबर है कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। निजी स्कूल छोड़कर आए विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में वहीं माहौल प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा संस्कृति मॉडल स्कूलों में सीबीएसई का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। जिसके चलते हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में सरकारी स्कूलों की तरफ रुझान और बढ़ेगा।
-कंवरपाल गुर्जर, शिक्षा मंत्री