चंडीगढ़, 13 सितंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा सरकार ने विकास परियोजनाओं के लिए भूमि का प्रबंध करने के लिए अब ‘बिचौलियों’ की मदद लेने का निर्णय लिया है। पहले से चल रहे ई-भूमि पोर्टल के नये वर्जन की लांचिंग के दौरान बुधवार को यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने माना कि 2013 की भूमि अधिग्रहण पॉलिसी के तहत जमीनों का अधिग्रहण कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में सरकार ने ई-भूमि पोर्टल के जरिये किसानों व भू-मालिकों से उनकी सहमति पर जमीन खरीदने का निर्णय लिया।
अभी तक 1200 एकड़ के करीब जमीन ई-भूमि पोर्टल के जरिये खरीदी जा चुकी है। पोर्टल के नये वर्जन में अब ‘एग्रीगेटर’ की भी भूमिका होगी, जो भू-मालिक और सरकार के बीच एक तरह से बिचौलिये का काम करेंगे। उन्हें इसके लिए बाकायदा मानदेय दिया जाएगा। जमीन की कुल कीमत का एक प्रतिशत एग्रीगेटर को मिलेगा। मसलन, अगर किसी एग्रीगेटर के जरिये सरकार 100 करोड़ रुपये की जमीन का सौदा करती है तो एक प्रतिशत के हिसाब से एक करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर एग्रीगेटर को मिलेगा।
एग्रीगेटर को पहले ई-भूमि पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन केवल उन्हीं एग्रीगेटर का होगा, जो आयकरदाता होंगे। सीएम ने कहा, हमने सत्ता में आते ही फैसला किया था कि हम भूमि अधिग्रहण नहीं करेंगे। हमने आज तक एक भी इंच भूमि का अधिग्रहण नहीं किया है। केवल उन्हीं प्रोजेक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण हुआ है, जिनमें जरूरी है। यानी रेलवे लाइन, नेशनल हाईवे के किसी प्रोजेक्ट आदि के लिए ही जमीन का अधिग्रहण हो रहा है। हरियाणा सरकार अपने सभी प्रोजेक्ट के लिए सहमति से जमीन खरीद रही है। ई-भूमि पोर्टल के जरिये सरकार अपनी जरूरत के हिसाब से जमीन की मांग करती है। संबंधित किसान और भूमि मालिक पोर्टल पर इसकी पेशकश करते हैं। कई बार सरकार को इसमें इसलिए दिक्कत आती थी कि एक साथ जमीन नहीं मिल पाती थी। ऐसे में अब एग्रीगेटर को बीच में लिया है ताकि वह जमीन इकट्ठी करके उपलब्ध करवा सके। ई-भूमि पोर्टल पर एग्रीगेटर जमीन की पेशकश कर सकेंगे।