नए विधानसभा भवन के लिए जमीन न देना हकों की अनदेखी : अरोड़ा
अरोड़ा ने कहा कि चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी है और प्रशासनिक संरचना में दोनों राज्यों की 60:40 की हिस्सेदारी तय है। ऐसे में हरियाणा को नया विधानसभा भवन बनाने के लिए जमीन न देना हैरान करने वाला और राज्य के अधिकारों पर सीधा प्रहार है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि क्या हरियाणा अपनी ही राजधानी में अपना विधान भवन नहीं बना सकता। यह फैसला न सिर्फ प्रदेश के अधिकारों की अवहेलना है, बल्कि 2.5 करोड़ जनता का अपमान है।
कांग्रेस विधायक के अनुसार, केंद्र सरकार का यह रुख पंजाब में आगामी चुनावी परिस्थितियों को देखते हुए राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश प्रतीत होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र हरियाणा के हितों को बलि चढ़ाकर पंजाब में चुनावी समीकरण साधने की कोशिश कर रहा है। अरोड़ा ने कहा कि यदि हरियाणा को चंडीगढ़ में उसका हिस्सा नहीं मिल रहा, तो मुख्यमंत्री को सर्वदलीय बैठक बुलाकर प्रदेश के लिए अलग राजधानी और उसके लिए विशेष फंड की मांग केंद्र के समक्ष रखनी चाहिए।
एसवाईएल पर भी दोहरा रवैया : अरोड़ा
अशोक अरोड़ा ने कहा कि हरियाणा के साथ अन्य मुद्दों पर भी लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। एसवाईएल नहर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के पक्ष में आने के बावजूद पंजाब पानी देने से इंकार कर रहा है और केंद्र सरकार इस मामले में निर्णायक हस्तक्षेप नहीं कर रही। उन्होंने बताया कि बैठकों में पंजाब के मुख्यमंत्री की ओर से खुले तौर पर कहा जाता है कि वे हरियाणा को पानी नहीं देंगे, और केंद्र इसे सिर्फ मीटिंगों तक सीमित रख रहा है। अरोड़ा ने आरोप लगाया, एसवाईएल हो या विधानसभा भवन, दोनों मामलों में हरियाणा का पूरा हक है, लेकिन केंद्र सरकार न तो पंजाब को पानी देने के लिए बाध्य कर पा रही है और न ही चंडीगढ़ में हरियाणा की हिस्सेदारी का सम्मान कर रही है।
