रेवाड़ी/गुरुग्राम (निस/हप्र) : नये कृषि कानूनों के खिलाफ इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। दिल्ली चलो अभियान के तहत देशभर से लाखों की संख्या में किसान जंतर-मंतर पर पहुंचेंगे। यह बात अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की राष्ट्रीय वर्किंग ग्रुप के सदस्य योगेंद्र यादव ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि सरकार ने यदि किसानों को दिल्ली प्रवेश से रोका तो वे वहीं पर धरना देकर बैठ जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार फसलों की एमएसपी के नाम पर किसानों को गुमराह कर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि उक्त तीनों कानून किसान विरोधी हैं। उन्होंने कृषि बिलों के साथ-साथ बिजली व पराली जलाने के बनाए गए कानून वापस लेने की मांग की। इस मौके पर राजबाला यादव, धर्मसिंह, पृथ्वीसिंह, बलवंत सिंह, लक्ष्मण सिंह जांगिड़, कुसुम यादव एडवोकेट, रामौतार आदि उपस्थित थे।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।