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रेवाड़ी के भिड़ावास में 200 करोड़ से बनेगा दूध प्रसंस्करण संयंत्र

मिनी और हाईटेक डेयरी संचालकों के साथ मुख्यमंत्री ने किया संवाद

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चंडीगढ़, 15 जुलाई (ट्रिन्यू)

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि मिनी और हाईटेक डेयरी मालिकों को केवल दूधवाले को दूध उपलब्ध कराने या बाजार में बेचने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, उन्हें दूध का मूल्य जोड़ना चाहिए। अन्य दूध उत्पादों - घी, मक्खन, पनीर और मिठाई का उत्पादन और बिक्री सीधे करनी चाहिए। इससे उन्हें अतिरिक्त आय होगी। उन्हें किसान उत्पादक संगठन की तर्ज पर दुग्ध उत्पादक संगठन बनाना चाहिए और अपने दुग्ध उत्पादों की ब्रांडिंग कर उन्हें बेचना चाहिए। मुख्यमंत्री शनिवार को चंडीगढ़ में आडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मिनी व हाईटेक डेयरी संचालकों के साथ सीधा संवाद कर रहे थे।

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मुख्यमंत्री ने डेयरी मालिकों से आग्रह किया कि वे सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाएं और पशुपालन और डेयरी इकाइयों की स्थापना का कार्य पूरे उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ करें। उन्होंने कहा कि दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए साझा डेयरी की अवधारणा पर कार्य किया जा रहा है। जहां पर भी पंचायती भूमि या सरकारी भूमि होगी वहां पर सहकारिता के माध्यम से डेयरियां खोली जाएंगी। प्रदेश का दूध उत्पादन में देश में तीसरा स्थान है। सरकार का प्रयास है कि इसे नंबर-वन पर लाया जाए यह पशुपालकों के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकता।

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उन्होंने कहा कि पशुपालन के व्यवसाय में महिलाओं का भी विशेष योगदान होता है। दूध उत्पादन से ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था भी सुदृढ़ होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूध उत्पादन में हांसी के पेड़े, रेवाड़ी की बर्फी प्रसिद्ध है तो गोहाना के जलेब का भी नाम है। देसां में देस हरियाणा जहां दूध दही का खाणा वाली कहावत को हरियाणा के युवाओं ने सही मायने में चरितार्थ किया है। यहां के पहलवान व नौजवान सेना में भर्ती होते हैं, यह दूध-दही के खाने का ही प्रभाव है।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में गाय का विशेष योगदान है। जैविक खाद के साथ-साथ हम गौ-मूत्र व इसके अन्य उत्पादों से पशुपालक अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इससे गौ-संवर्धन को भी बढ़ावा मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों और युवाओं को अपना उद्यम शुरू करने में सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा हाई-टेक और मिनी डेयरी योजनाएं चलाई जा रही हैं। युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की योजना के तहत 10 दुधारू पशुओं तक की मिनी डेयरी खोलने के लिए 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।

अनुसूचित जाति के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना के तहत दो या तीन दुधारू पशुओं की डेयरी खोलने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा 20 या अधिक दुधारू पशुओं की हाईटेक डेयरी स्थापित करने पर ब्याज में छूट दी जाती है। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में अब तक 13,244 डेयरियां स्थापित की जा चुकी हैं। खेती के साथ-साथ दुधारू पशु पालने की हमारी प्राचीन परंपरा है। पहले दुधारू पशुओं को केवल दूध की घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए ही पाला जाता था।

पशुपालकों को बगैर गारंटी 1.60 लाख ऋण

सीएम ने कहा कि पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना पशुपालन के लिए पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए शुरू की गई है। इसके तहत गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर पालने वाले पशुपालकों को पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड दिए जाते हैं। इस कार्ड से किसी भी पशुपालक को बिना किसी गारंटी के 1.60 लाख रुपये का ऋण मिलता है। इससे ऊपर के ऋण के लिए गारंटी देनी होगी। बैंकों द्वारा अब तक 1.54 लाख पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किए हैं।

चारे के लिए डीसी को निर्देश

विभिन्न हिस्सों में हुई भारी बारिश का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और कैथल जिलों में अत्यधिक बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ है। इन जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे जिन जिलों में जलभराव की समस्या नहीं है, वहां से हरा या सूखा चारा मंगवाकर पशुपालकों को उपलब्ध करवाएं। सीएम ने पशुपालन व्यवसाय के लिए हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान और बढ़ सके।

प्रदेश में दूध खरीद कर रही 3300 समितियां

अमूल का उदाहरण देते हुए सीएम ने कहा, आज अमूल दुग्ध के उत्पाद देश के हर हिस्से में उपलब्ध है। वर्तमान में दूध की खरीद के लिए राज्य में 3300 सहकारी दुग्ध समितियां हैं। राज्य में दूध प्रसंस्करण के लिए 6 दुग्ध संयंत्र हैं, जिनकी दैनिक दूध प्रसंस्करण क्षमता 9.45 लाख लीटर है। सीएम ने कहा कि रेवाड़ी के भिड़ावास में 200 करोड़ रुपये की लागत से 500 लाख लीटर प्रतिदिन की दूध प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया जा रहा है।

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