अरविंद शर्मा/निस
जगाधरी, 26 अप्रैल
कोरोना की दूसरी लहर से हर कोई परेशान हैं। महामारी के बढ़ने से फिर से कहीं लॉकडाउन न लग जाए। इसी डर की वजह से जगाधरी आदि इलाकों से बहुत ज्यादा तादाद में प्रवासी लेबर अपने घरों को कूच रही है। मौजूदा हालात में धान उत्पादक किसानों को लेबर का संकट बुरी तरह से सताने लगा है। वहीं, इससे धान की रोपाई पर कोई ज्यादा असर न पड़ने की कृषि अधिकारी बात कह रहे हैं।
गेंहू, गन्ने व पाॅपुलर के साथ इस इलाके में धान की फसल भी काफी होती है। कम ज्यादा हर किसान पैडी जरूर लगाता है। जानकारी के अनुसार इस बार जिले में कृषि विभाग का लक्ष्य 75 हजार हैक्टेयर रकबे में धान की फसल उगाने का है। धान की रोपाई का ज्यादातर काम मैन्युअली होता है। 70 फीसदी यह काम प्रवासी श्रमिकों द्वारा किया जाता है। फिर से लाॅकडाउन के डर से पिछले दो हफ्ते से रोज प्रवासी मजदूर अपने घरों को प्राइवेट वाहनों से लौट रहे हैं। वहीं, किसान नीरज कुमार, सादिक महोम्मद, योगेश आदि का कहना है कि इससे लेबर का संकट बनने के आसार लग रहे हैं।
वहीं, कृषि विभाग के उप निदेशक डा. जसवींद्र सैनी का कहना है कि इससे धान की रोपाई पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उनका कहना है कि पिछले साल इससे ज्यादा लेबर अपने घरों को चली गई थी। स्थानीय मजदूर भी काफी संख्या में मिल जाते हैं।
क्या कहना है मजदूरों का
बिहार, पश्चिमी बंगाल व यूपी को ये श्रमिक जा रहे हैं। बिहार के दरभंगा, मुजफरपुर, सहसाराम आदि को जाने वाले श्रमिक लक्ष्मीनाथ, प्रवीण कुमार, गणेश कुशवाह आदि का कहना था कि यहां पर पता नहीं कब काम बंद हो जाए व कोरोना के बढ़ने से लॉकडाउन लग जाए। पिछले साल कई-कई दिन पैदल चलना पड़ा था। फिर से यह नौबत न आ जाए। इसलिए समय रहते निकल रहे हैं।