विनोद जिन्दल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 14 अगस्त
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि देश के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले शहीदों की याद में कुरुक्षेत्र में एक राष्ट्रीय स्तर पर शहीद स्मारक बनाया जाएगा। स्मारक बनाने के लिए पंचनद स्मारक ट्रस्ट को शहीद स्मारक ट्रस्ट बनाया जाएगा और यह ट्रस्ट अर्धसरकारी होगा। ट्रस्ट में पंचनद स्मारक ट्रस्ट के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कुछ सरकारी प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएंगे। स्मारक की गतिविधियां तुरंत शुरू करने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि अपनी भूमि दान करने के नाते वे भी ट्रस्टी हैं इसलिए वे तो इसमें भरपूर योगदान देंगे ही, साथ ही उन्होंने लोगों से भी अपील की कि वे अपने बुजुर्गों की स्मृति में यथासंभव योगदान दें। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि चार-पांच सौ लोगों की एक ऐसी सूची बनाई जाए जो स्मारक के लिए करोड़ों का दान दे सकें। वे रविवार को यहां कुरुक्षेत्र की अनाज मंडी में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार वहां से आने वाले लोगों ने अपने पुरुषार्थ के बल पर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया और आरक्षण तक लेना स्वीकार नहीं किया। उन्होंने दुख व्यक्त किया कि ऐसे लोगों को आज तक जमीन से संबंधित कोई अधिकार नहीं मिले हैं लेकिन उन्होंने घोषणा की कि ऐसे किसानों के लिए कुछ न कुछ अवश्य करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने स्वयं पंडाल के बीच आकर उन लोगों को सम्मानित भी किया जो विभाजन विभीषिका के भुक्तभोगी रहे।
इस अवसर पर पंचनद स्मारक ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडेलश्वर स्वामी धर्मदेव, ट्रस्ट के प्रदेशाध्यक्ष थानेसर के विधायक सुभाष सुधा, विधायक घनश्याम अरोड़ा, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, किरण चोपड़ा तथा गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में सांसद संजय भाटिया, सांसद नायब सिंह सैनी, सांसद रत्नलाल कटारिया, सांसद अरविन्द शर्मा, विधायक सीमा त्रिखा, विधायक कृष्ण मिढ्डा, विधायक विनोद भयाणा, विधायक प्रमोद विज, विधायक लक्ष्मण नापा, विधायक हरविन्द्र कल्याण, पूर्व मंत्री कर्णदेव काम्बोज, पूर्व विधायक भगवान दास कबीरपंथी के अलावा कई संत तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
किस्से सुनाते-सुनाते भावुक हो गये मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने इस दिवस को गौरवपूर्ण बताते हुए लोगों की कुर्बानियों तथा अपनी बहू-बेटियों की इज्जत बचाने के लिए अपने मामा द्वारा दो बेटियों को तलवार से काटने सहित अन्य को मौत के घाट उतारने के किस्से सुनाए और भावुक हो गये। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनके पिताजी तथा तायाजी पूरे परिवार से बिछुड़ गए थे और बाद में छुपते-छुपाते गाड़ी द्वारा लुधियाना पहुंचे और परिवार से मिले। उन्होंने कहा कि यह विभाजन मजहब के आधार पर हुआ था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी लोग उस समय के पश्चिमी पंजाब से यहां आए वे सब फटे हाल केवल मात्र अपने विचार, धर्म, संस्कृति तथा देश और स्वदेश को बचाने के लिए आए। वहां शहादत देने वालों ने अपने धर्म के लिए अपनी शहादत दी। पूर्वजों को नतमस्तक होते हुए उन्होंने अपने दादा द्वारा खोली गई दुकान का किस्सा भी सुनाया।