भिवानी, 15 जनवरी (हप्र)
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर छात्र युवा किसान मंच के बैनर तले बिजलानाबास गांव के किसानों ने तीनों कानूनों की प्रतियां जलाई और सरकार से कानून वापस लेने की अपील की गई। किसान सभा खंड कैरू के प्रधान छोटू पुनिया ने इन तीनों कानूनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और इस दौरान आंदोलन में अपने प्राणों की आहूति देने वाले किसानों के लिए दो मिनट का मौन धारण करके श्रद्धांजलि दी। छात्र नेता अशोक कुमार ने कहा कि सरकार किसानों को भी पूंजीपतियों के अधीन करना चाहती है।
वहीं दूसरी ओर, किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए एटक की राष्ट्रीय महासचिव अमरजीत कौर, प्रदेशाध्यक्ष बलदेव घणघस, जिला अध्यक्ष ईश्वर शर्मा, अनिल पंवार, येचुगिरी के मार्ग दर्शन में एटक कर्मचारियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। ईश्वर शर्मा ने कहा कि ये तीनों कानून हर वर्ग के लिए हानिकारक है और सरकार इन कानूनों को वापस ले।
उधर, किसान नेता रविन्द्र सांगवान ने कितलाना टोल पर चल रहे अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित किया और कहा कि किसान किसी राजनीतिक दल के मोहताज नहीं है और अपने बलबूते पर लड़ाई लड़ रहे हैं और अब जीतकर ही दिल्ली से लौटेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि 17 मार्च को दादरी में होने वाला ट्रैक्टर मार्च अभूतपूर्व होगा। रविन्द्र सांगवान ने कहा है कि देश में आजादी के बाद ये पहली सरकार है जिससे समाज का हर तबका पीड़ित है और सरकार के प्रति लोगों में भयंकर गुस्सा और नफरत है। हालात ये हैं कि जनता गठबंधन सरकार के किसी नेता को सुनने को तैयार नहीं है। यहां तक कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को अपने दौरे तक रद्द करने पड़े। किसानों के धरने की 22वें दिन नरसिंह डीपीई, बलवंत नम्बरदार, रणधीर कुंगड़, राजबीर शास्त्री, प्रभुराम गोदारा, ओमप्रकाश कलकल, अनूप सूबेदार, रत्तन जिंदल ने संयुक्त अध्यक्षता की।
18 को ट्रैक्टर रैली
बाढड़ा (निस) : सर्वजातीय श्योराण खाप 25 के अध्यक्ष बिजेन्द्र बेरला की अगुवाई में खाप पदाधिकारियों ने अलग-अलग गांवों में बैठकें की और प्रत्येक गांव के किसानों की संख्या व उनके पास ट्रैक्टरों की संख्या को पंजीकृत कर उनको अलग-अलग रूट दिया। बिजेन्द्र बेरला ने किसानों को संबोधित किया और कहा कि अभी तक 1100 किसानों का पंजीकरण किया गया है। किसान ट्रैक्टरों के जत्थे के साथ मुख्य क्रांतिकारी चौक पर पहुंचेगे। उसके बाद दिल्ली ट्रैक्टर कूच के लिए जत्थों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा कि 18 जनवरी के बाढड़ा आंदोलन के दौरान ही सभी किसानों को दिल्ली पड़ाव की जिम्मेदारी दी जाएगी।
वहीं, गांव करीमेला के हिंदोखला धाम पर शुक्रवार को छठे दिन भी धरना जारी रहा तथा दस गांवों के किसानों ने कहा कि जब तक कृषि क्षेत्र पर लागू तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक यह बेमियादी अनशन जारी रहेगा।